हिसार,
अंतरर्जातीय प्रेम विवाह के मामले में अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले राजेश की हत्या का बहुचर्चित मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर चल रहे मुकदमे सीआरएमएम 33443-2018 औमप्रकाश वर्सेज स्टेट ऑफ हरियाणा, कोर्ट नंबर 53, आइटम नंबर 230 में माननीय उच्च न्यायालय ने अहम फैसला सुनाते हुए इस हत्याकांड की जांच सीबीआई चंडीगढ़ से कराने के आदेश दिए हैं। माननीय हाईकोर्ट जस्टिस कुलदीप सिंह ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपते हुए पुलिस को सबूत मिटाने व पीडित परिवार के साथ भेदभाव करने के लिए लताड़ लगाई। सनातन धर्म चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से उपलब्ध करवाए गए एडवोकेट रामनिवास कुश इस मामले की पैरवी कर रहे थे जिन्होंने इस मुकदमे को मजबूती से लड़ा और सीबीआई की मांग उठाई थी जिस पर माननीय हाई कोर्ट ने यह फैसला दिया है।
सनातन धर्म चैरिटेबल ट्रस्ट व जय भीम आर्मी ट्रस्ट के चेयरमैन संजय चौहान ने बताया कि इस मामले में राजेश के परिजनों व उनकी ट्रस्ट द्वारा हिसार पुलिस द्वारा भेदभावपूर्ण कार्यवाही करने के चलते माननीय उच्च न्यायालय से सीबीआई की मांग की थी। इससे पूर्व माननीय हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार, एसपी हिसार व एसएचओ को 3 अक्टूबर को अदालत में तलब भी किया गया था। संजय चौहान ने बताया कि इस मामले में अनुसूचित जाति के युवक राजेश द्वारा प्रेम विवाह करने पर लडक़ी के परिजनों ने उसकी निर्ममता से हत्या कर दी थी और पुलिस की कार्यवाही इस मामले में पूरी तरह से भेदभावपूर्ण थी जिसके चलते यह केस माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन था। माननीय हाईकोर्ट ने भी ट्रस्ट व पीडि़त द्वारा की गई सीबीआई जांच की मांग पर गौर करते हुए इस बारे स्पष्टीकरण देने के आदेश दिए थे कि क्यों न यह मामला सीबीआई को सौंप दिया जाए।
संजय चौहान ने बताया कि ऑनर कीलिंग के उक्त मामले में आरोपी पक्ष द्वारा मृत्तक राजेश के बड़े भाई व पीडि़ता के जेठ को ही पुलिस ने जांच के बहाने बुरी तरह से प्रताडि़त किया, उसे बुरी तरह से पीटा व टॉर्चर किया गया जबकि आरोपी पक्ष के लोगों पर पुलिस ने कार्यवाही नहीं की। इस मामले में मृत्तक की पत्नी, उसके पिता व भाई का नार्को टेस्ट भी हो चुका है। अंतर्राजातीय प्रेम विवाह के इस मामले में लडक़ी जाट जाति से संबंधित है जबकि लडक़ा राजेश चमार जाति से संबंध रखता था। उक्त प्रेमी युगल ने वर्ष 2015 में सनातन धर्म चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्मय से ही प्रेम विवाह किया था जिससे पूनम के परिजन नाखुश थे जिसे लेकर उन्होंने हिसार सेफ हाउस तक में जाकर धमकी दी थी। इसके बाद भी उसे जान से मारने की लगातार धमकियां मिलती रही जिसकी राजेश के परिजनों ने काफी बार पुलिस को शिकायत भी की थी लेकिन पुलिस द्वारा इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं की गई और और 02 फरवरी 2017 को राजेश का अपहरण कर लिया गया और 04 फरवरी 2017 को क्षत-विक्षत हालत में उसका शव मिला। राजेश की बेरहमी से हत्या कर उसके शव को मिर्जापुर रेलवे लाइन के पास फेंक दिया गया था। राजेश की पत्नी पूनम अब भी अपने ससुराल में रह रही है और उसका एक बेटा भी है।
इसी मामले में अब माननीय हाई कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई चंडीगढ़ को सौंपने के आदेश दिए हैं। संजय चौहान ने कहा कि वे माननीय उच्च न्यायालय के इस फैसले का स्वागत करते हैं इस फैसले से पीडित परिवार को इंसाफ मिलने की आश जगी है।