हिसार,
निकटवर्ती गांव रावतखेड़ा के राजेन्द्र गोदारा व पृथ्वीसिंह गोदारा के परिवार ने कन्यादान के रूप में एक रुपया व दहेज का जरूरी सामान लेकर अपने बेटों की शादी करके मिसाल पेश की है। थाली में रखी नकदी लौटाते हुए दोनों भाइयों ने केवल एक रुपया लेकर अपने बेटों की शादी की, वहीं तलवंडी बादशाहपुर निवासी सुभाष कालीराणा ने भी अपने बेटे की शादी बिना नकद राशि लिये की। दोनों परिवारों द्वारा लड़कियों के परिवारों द्वारा थाली में रखे पैसे लौटाये जाने की समाज में प्रशंसा हो रही है। दोनों परिवारों ने ऐसा करके दहेज जैसी बुराई पर रोक लगाने में सहयोग की अपील की है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के गांव सीसवाल निवासी बनवारी लाल बैनीवाल ने अपनी सुपौत्री सुमन की शादी रावतखेड़ा गांव निवासी राजेन्द्र गोदारा के सुपुत्र जयपाल के साथ तय की। नीयत समय पर बारात आई और फेरों के बाद जब कन्या पक्ष की ओर से थाली में 51 हजार रुपये रखे गये तो बारात के साथ आए दूल्हे के मामा मनफूल खिचड़ ने यह कहते हुए थाली में रखे पैसे लेने से इंकार कर दिया कि उन्हें थाली में केवल एक रुपया ही चाहिए। वर पक्ष द्वारा थाली में नकद राशि न लिये जाने की संपूर्ण बैनीवाल परिवार व उनके जानकारों ने मुक्तकंठ से प्रशंसा की वहीं इसे दहेज जैसी बुराई पर गहरी चोट बताया।
इसी तरह राजेन्द्र गोदारा के भाई पृथ्वीसिंह गोदारा के बेटे रमेश के साथ बारात में गये उनके मामा रामस्वरूप खिचड़ ने भी वधू पक्ष द्वारा थाली में रखे पैसे लेने से मना कर दिया और केवल एक रुपया लेकर यह शादी की।
इसी परम्परा को तलवंडी बादशाहपुर निवासी सुभाष कालीराणा ने भी जारी रखा। सुभाष के बेटे सरजीत की शादी रावतखेड़ा निवासी पृथ्वीसिंह गोदारा की बेटी सोनू के साथ तय हुई। बारात लेकर दूल्हे सरजीत के साथ पहुंचे उनके मामा राजेन्द्र व ताऊ लाधूराम ने भी गोदारा परिवार द्वारा थाली में रखी नकदी लेने से मना कर दिया और कहा कि दहेज एक बुराई है और इस बुराई को रोकना जरूरी है। उन्होंने भी एक रुपया लेकर यह शादी की। दोनों परिवारों ने कहा कि अब वह समय आ गया है कि हमें दुल्हन को ही दहेज मानने वाली परंपरा पर चलना चाहिए।