फतेहाबाद

पोस्को अधिनियम : 6 सालों में महज 54 आरापियों को मिली सजा, अधिकतर हुए बरी—जानें विस्तृत रिपोर्ट

फतेहाबाद (साहिल रुखाया)
सरकार ने वर्ष 2012 में यौन अपराधों से बच्चों को सरंक्षण अधिनियम ( पोस्को) लागू किया था। इस अधिनियम के लागू होते ही थानों में नाबालिगा से हुई छेड़छाड़ सहित दुष्कर्म के केस दर्ज होने लगे, लेकिन इस नए अधिनियम का अभिभावक सही तरीके से इस्तमाल की करने की बजाए इसका दुरप्रयोग करने लगे। यही कारण है कि अधिनियम बनने से लेकर वर्ष 2018 तक यानि 7 साल में जिले में 326 केस पोक्सो एक्ट के छेड़छाड़ सहित दुष्कर्म करने के केस दर्ज हुए, लेकिन कोर्ट में मामला चला तो वहां गवाहों के पलटने पर 196 आरोपी बरी हो गए। सिर्फ 54 आरोपियों को ही सजा हो पाई। इन आकंड़ों ने जिला बाल संरक्षण विभाग की नींद उड़ा दी है।
इन मामलो को लेकर विभाग की काउंसलिंग रिपोर्ट में भी चौंकाने वाले खुलासा ये हुआ है कि अभिभावक अपने दूसरे झगड़ों या रंजिश के मामलो में अपने बच्चों से झूठी शिकायतें दिलवा रहे हैं। जिससे पोक्सो एक्ट का गलत इस्तेमाल हो रहा है। जिला बाल संरक्षण अधिकारी प्रदीप कुंडू ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि विभाग की रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि कहीं ना कहीं बच्चों के माता-पिता या रिश्तेदार अपने दूसरे तरह के झगड़ों में बच्चों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में बच्चों के लिए पोक्सो एक्ट का गलत इस्तेमाल हो रहा है। एक्ट के इस तरह के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए जरूरी है कि बच्चों में जागरूकता अधिक से अधिक आए आमजन पोक्सो एक्ट के महत्व को समझे।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2012 से पोक्सो एक्ट लागू हुआ तब से लेकर वर्ष 2018 तक की रिपोर्ट में कुल 326 मामले पोक्सो एक्ट के सामने आए, 282 मामले कोर्ट में दायर हुए लेकिन 196 मामले कोर्ट में झूठे साबित हुए, केवल मात्र 54 मामलो में आरोपी को सजा हुई। मामले झूठे पाए जाने का आंकड़ा काफी बड़ा है जिससे हैरानी है कि किस कदर पोक्सो एक्ट का गलत इस्तेमाल हो रहा है। विभाग की ओर से अपील की गई है कि माता-पिता अपने बच्चों के साथ हो रहे अन्याय की लड़ाई को दृढ़ता से लड़ें और कोर्ट में सच्चाई के साथ खड़े हों।

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