फतेहाबाद

सहकारी बैंक में करोड़ो की हेराफेरी, जीएम सहित कई बड़ी मछलियां आई शिकंजे में, उपायुक्त ने कष्ट निवारण समिति में दी थी क्लीन चिट

फतेहाबाद (साहिल रुखाया)
दी फतेहाबाद सहकारी समिति बैंक में करोड़ों रुपयों के ऋण घोटाला में पुलिस ने कई कद्दावर लोगों व अधिकारियों पर मामला दर्ज कर मामले की जांच आरंभ कर दी है। मामले की शिकायत बैंक के जनरल मैनेजर रमेश पूनिया ने पुलिस थाना में की है।
इनके खिलाफ हुआ मामला दर्ज
मामले में तत्कालिन जीएम नरसीराम, ऋण अनुभाग प्रभारी महेंद्र सिंह भादू, सहायक प्रबंधक भीम सिंह, लिपिक जगदीश प्रसाद, विकास अधिकारी गोपीचंद, शाखा प्रबंधक अमरपाल के अलावा बैंक गार्ड निहाल सिंह, डाटा आप्रेटर शेषकरण अयाल्की, कथित बिचौलिए सुशील काकड़ धांगड़ , प्रमोद कुमार हिजरावां, गगनदीप ग्रोवर रतिया,किरण रानी बतरा, बिजेंद्र सिंह, सुमेर सिंह, मैसर्ज संधु जैविक खाद केंद्र ढाणी ठोबां के गुरनाम सिंह सहित कई अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी सहित कई अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
क्या है शिकायत में
शिकायत में बैंक के जनरल मैनेजर रमेश पूनिया ने कहा है कि जनवरी 2016 से 31 मार्च 2018 तक तत्कालिन जीएम नरसी राम 74 करोड़ 92 लाख रुपए के ऋण वितरित किए। इनमें से 90 प्रतिशत ऋण फर्जी पाए गए है।
कैसे हुआ घोटाला
जनरल मैनेजर रमेश पूनिया के अनुसार बैंक ऋण करते समय अप्रेजल कमेटी के सामने केस को रखता है। वहां से ऋण स्वीकृत होने बाद ऋण दिया जाता है। लेकिन जीएम नरसी राम ने अप्रेजल कमेटी को बाइपास कर केवल लोन इंचार्ज महेंद्र सिंह भादू द्वारा दिए गए केसों के ही ऋण मंजूर कर दिए। जांच के दौरान मिला 150 मंजूरशुदा ऋण ऐसे मिले जिन्हें हैड आफिस में भेजा तक नहीं गया। करीब 15 करोड़ रुपयों के ऋण पर हैड आफिस के नंबर तक फर्जी चढ़ा दिए गए।
पहले ऋण मंजूर, बाद में भेजा गया केस
जांच के दौरान जीएम के साइन किए हुए सैंक्शन लैटर भी बरामद हुए। कई मामले ऐसे भी सामने आए है जिनमें ऋण की मंजूरी का पत्र पहले जारी कर दिया गया है जबकि प्रबंधक ने ऋण लेने का केस बाद में भेजा है। चौकान्ने वाली बात तो यह है कि एम मामले में शाखा प्रबंधक ने कपड़े की दुकान के ऋण का केस भेजा, लेकिन जीएम ने एस ऋण में शैट्रिंग की दुकान का ऋण मंजूर कर दिया, वहीं तहसील में इसे एग्रीकल्चर लोन दिखाकर रजिस्ट्री करवाई गई है।
आधार भी फर्जी, पता भी फर्जी
मामले में 17 केस ऐसे मिले है जो फतेहाबाद जिले के है ही नहीं। इन सबके पते व आधार कार्ड तक फर्जी पाए गए है। इस सबसे बढ़कर बात यह है कि 74 करोड़ रुपयों के ऋण में से 60 करोड़ का ऋण लिया किसी परपज से गया है जबकि उसे खर्च किसी परपज पर किया गया है। इससे भी ज्यादा चौकान्ने वाली बात है कि पाईप लाइन के लिए मंजूर किए सभी केसों की प्रोजेक्ट फाइल रिपोर्ट भी एक जैैसी है।
बैंक जीमए ने भी लिए फर्जीवाड़े से ऋण
हरको बैंक की जांच रिपोर्ट के मुताबिक, अनेक मामलों में हिजरावां निवासी प्रमोद व धांगड़ निवासी सुशील काकड़ ने तहसील में रजिस्ट्री करवाते समय बैंक की तरफ से हस्ताक्षर किए है, जबकि ये दोनों बैंक के कर्मचारी ही नहीं है। इस मामले में चौकान्ने वाली बात यह है कि स्वयं जीएम ने बैंक से ऋण लिया तो इस ऋण की रजिस्ट्री करवाते समय भी बैंक की तरफ से सुशील व प्रमोद ही तहसील में पेश हुए। यह पूरा मामला घोटाले की तरफ साफ इशारा कर रहा है।
बोगस बिल दे लिया ऋण
जांच में पता चला है कि ऋण लेने वाले लाभार्थियों ने ऋण की किश्त बैंक में जमा करवाने के स्थान पर सीधे बैंक कर्मचारियों के खाते में जमा करवा रखे है। रतिया निवासी गगनदीप ग्रोवर के खातों में इस तरह से 13 लाख रुपए आए है। बैंक के गनमैन गुरनाम पर आरोप है कि उसने जैविक खाद बनाने की फर्जी फर्म बना 1 करोड़ रुपए अपने खाते में ले लिए। जांच में मिला कि कई केस में गैर कृषि ऋणों को कृषि उद्देश्य ऋण दिखाकर स्टाम्प फीस की चोरी की गई है। ऋण लेते समय जिन फर्मों के बिल बैंक में दिए गए है वे सभी बोगस मिले है। कई केस में जीएम नरसीराम के असली हस्ताक्षर के स्थान पर स्केन करके कॉपी—पेस्ट किए गए है।
तीन कर्मचारियों पर गिर चुकी है गाज
इस मामले में बैंक के 3 कर्मचारियों पर गाज गिर चुकी है। बैंक ने ऋण अधिकारी महेंद्र सिंह भादू और लिपि​क जगदीश प्रसाद व दलीप सिंह को नि​लम्बित कर चुका है। हरको बैंक की जांच में बोर्ड द्वारा पास किए ऋणों पर भी उंगली उठाई है, ऐसे में बैंक के बोर्ड पर भी घोटाले की आंच आती हुई दिखाई दे रही है। इतना ही नहीं फर्जी बिलों के आधार पर ऋण लेने वाले सैंकड़ों लोग इस मामले की चपेट में आने की संभावना जताई जा रही है।
कष्ट निवारण समिति की बैठक में मिली थी क्लीन चिट
27 अगस्त 2018 को कष्ट निवारण समिति की बैठक में बैंक ऋण में भ्रष्टाचार का मामला अधिवक्ता राजेंद्र सिंह वर्मा ने रखा था। लेकिन उस समय बतौर कार्यकारी उपायुक्त डा. जयकिशन आभीर ने भ्रष्टाचार करने वाले बैंक अधिकारियों का बचाव किया था। उन्होंने राज्य मंत्री कृष्ण बेदी की भरी सभा में यह कहकर भ्रष्टाचार की आग पर पानी डाला था कि सहकारी समिति बैंक में लोन देने के नाम पर किसी प्रकार की धांधली नहीं हुई।
अनिल जांगड़ा ने की थी शिकायत
गांव धांगड़ के अनिल जांगड़ा ने गत अप्रैल में कराधान विभाग के उपायुक्त को शिकायत देकर आरोप लगाए थे कि दी फतेहाबाद सहकारी समिति बैंक ने 1 अप्रैल 2016 से दिसंबर 2017 तक 600 से अधिक लोगों को ऋण दिया। ये ऋण कृषि के साथ गैर कृषि कार्यों के लिए दिया गया। कृषि में तो मुख्यत: अंडर ग्राउंड पाइपलाइन तथा गैर कृषि में टैंट हाउस, किरयाना स्टोर, शेटरिंग स्टोर के लिए दिए। सभी ने ऋण के रुपयों का सामान खरीदते समय टैक्स नहीं भरा। उनका आरोप था कि किसी ने सामान ही नहीं खरीदा, बल्कि गलत बिल लगाकर ऋण एक बार पास करवा लिया।
कराधान विभाग ने मानी करोड़ों की गड़बड़ी
कराधान विभाग की जांच में सामने आया कि करीब दो वर्षों में करोड़ों रुपये की गड़बड़ी हुई हैं। बैंक ने जितने भी ऋण दिए हैं चाहे वे कृषि कार्य से संबंधित हो या गैर कृषि कार्य से। किसी ने भी उचित फर्म से सामान लेकर टैक्स नहीं भरा। सभी ने बोगस बिल लगाते हुए ऋण पास करवा लिया गया। जांच के दौरान कराधान विभाग ने कई बार बिल की जांच की तो एक भी फर्म का नाम व टीन नंबर सही नहीं मिले। इसके बाद जांच अधिकारी ने बैंक से संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग करते हुए अपने विभाग के साथ बैंक के एमडी को भी शिकायत भेजी।
एक एकड़ के किसान को दे दी 9 लाख रुपये की पाइपलाइन
सहकारी समिति बैंक ने करोड़ों रुपये की गड़बड़ी की है। जिन किसान के पास मात्र एक या दो एकड़ जमीन है, उन्हें भी ​सिंचाई के लिए अंडर ग्राउंड पाइपलाइन खरीदने के लिए 9 लाख रुपये तक का ऋण जारी कर दिया गया। अब जांच में साफ हो गया है कि किसानों ने पाइपलाइन ही नहीं खरीदी। बैंक अधिकारियों ने अपने कमिशन के लिए किसानों को ऋण दिया।
क्या कहा कराधान एवं आबकारी विभाग ने
कराधान एवं आबकारी विभाग के उपायुक्त डा. वीके शास्त्री ने बताया कि बैंक अधिकारियों ने ऋण देते समय गड़बड़ी की हैं। जिन फर्मों के नाम पर बिल लगाए हुए हैं, वे वास्तव में फर्म ही नहीं हैं। उनके टिन नंबर तक गलत दर्ज किए गए हैं। ये बड़े स्तर पर करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है। मैंने शिकायत पर जांच करते हुए अपनी रिपोर्ट बनाकर उच्चाधिकारियों को भेज दी है।

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