हिसार

किलोमीटर स्कीम तहत बस चलाने के फैसले का निर्णय रद्द करना कर्मचारियों के संघर्ष की जीत : किरमारा

हिसार,
सरकार के किलोमीटर स्कीम के तहत 700 प्राइवेट बसें चलाने के निर्णय को लेकर सरकार द्वारा लम्बे चौड़े दावे किए गए और रोडवेज को घाटे से उभारने की बात कहते हुए 49 आदमियों को 510 परमिट 37.10 रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से देने का काम किया। सरकार के इस फैसले का हरियाणा रोडवेज तालमेल कमेटी ने जनता, अन्य विभागों के कर्मचारियों व रोडवेज कर्मचारियों के सहयोग से डट कर विरोध किया और प्रदेश में 18 दिनों तक लंबी व सफल हड़ताल की।
यह बात आज हरियाणा रोडवेज तालमेल कमेटी के वरिष्ठ सदस्य दलबीर किरमारा, इंद्र सिंह बधाना, विरेंद्र धनखड़, अनूप सहरावत, सरबत पूनिया, आजाद गिल, पहल सिंह व दिनेश हुड्डा ने आज एक संयुक्त बयान जारी कर कही। उन्होंने बयान में कहा कि परिवहन मंत्री व रोडवेज के उच्चाधिकारियों द्वारा मिलीभगत करके लिए गए इस फैसले के तहत अपने चहेते लोगों को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया गया था, जिससे रोडवेज विभाग को प्रतिवर्ष 125 करोड़ रुपए का घाटा होता। किलोमीटर स्कीम के्र तहत ये बसें 10 साल तक चलाई जानी थी, जिससे 10 साल में रोडवेज विभाग को 1200 से 1500 करोड़ रुपए का घाटा होना तय था, लेकिन रोडवेज तालमेल कमेटी ने कर्मचारियों व आम जनता के सहयोग के साथ सरकार के इस फैसले के खिलाफ 18 दिन तक हड़ताल कर विभाग को इस घाटे से बचा लिया। उन्होंने कहा कि इस मामले में उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप किया और रोडवेज की हड़ताल खत्म करवाई। हाईकोर्ट में मामले में जाने के चलते तथा इस स्कीम की परतें खुल जाने के बाद सरकार ने अपने इस फैसले को रद्द कर दिया और टेंडर फीस वापस देने के आदेश जारी कर दिए। उन्होंने कहा कि इस फैसले को लेकर रोडवेज कर्मचरियों में खुशी की लहर दौड़ गई है।
दलबीर किरमारा ने सरकार से मांग की है कि रोडवेज कर्मचारियों पर एस्मा के तहत दर्ज किए गए मुकदमों तथा की गई विभागीय कार्यवाही को वापस लिया जाए। उन्होंने कहा कि यदि रोडवेज तालमेल कमेटी आंदोलन व हड़ताल के जरिए इस फैसले का भंडाफोड़ नहीं करती तो परिवहन विभाग को सालाना 125 करोड़ रुपए तथा 10 वर्ष में करीब 1500 करोड़ा का नुकसान होना तय था। उन्होंने कहा कि जब भी कोई कर्मचारी, मजदूर, किसान, संगठन, जनसंगठन व महिला संगठन सरकार के खिलाफ आवाज उठाते हैं तो उन पर तरह-तरह के सवाल दागे जाते हैं तथा चंदा चोर तक कह दिया जाता है। उन्होंने कहा कि सच्चाई है कि किसी भी कर्मचारी, जनता, किसान, मजदूर, छात्रों व महिला संगठनों द्वारा सरकार के खिलाफ आवाज उठाई जाती है तो उनकी आवाज को दबाया जाता है और आम जनता को रोटी, कपड़ा व मकान तथा अन्य मूलभूत सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। इसलिए समाज के सभी वर्गों को एक साथ मिल कर सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
दलबीर किरमारा ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि रोडवेज विभाग में इस मामले की निष्पक्ष जांच करवा कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही जाए।

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