हिसार,
शहरों में रहने वाले लोगों को आइबीडी होने की संभावना ज्यादा होती है। इसका कारण शहरी जीवन शैली और आहार हो सकता है। आइबीडी मात्र एक वर्ष के बच्चे से लेकर बड़ी उम्र तक के किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। वर्तमान में दुनिया भर में लगभग 50 लाख लोग आइबीडी से पीडि़त हैं। ये शब्द आज दोपहर जिंदल अस्पताल में विश्व आई.बी.डी. डे (संग्रहणी) के अवसर पर आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए पेट रोग विशेषज्ञ (गेस्ट्रो) डा. सुनील गोयल एवं डा. विवेक बंसल ने कहे। जिंदल अस्पताल के डायरेक्टर डा. शेखर सिन्हा भी वार्ता में विशेष रुप से उपस्थित रहे। पत्रकारों से बातचीत करते हुए डा. सुनील गोयल ने कहा कि कुछ दर्दनाशक दवाओं के इस्तेमाल से आइबीडी होने की संभावना बढ़ जाती है या बीमारी गंभीर हो सकती है। ज्यादा वसायुक्त आहार लेने से आइबीडी होने की संभावना रहती है।
डा. विवेक बंसल ने आइबीडी के लक्षणों के बारे में बताते हुए कहा कि दस्त, पेट का दर्द, मलाशय से खून, कब्ज, असंयम, सुस्ती, भूख की कमी, उबकाई, अनीमिया व बुखार आदि होने पर आइबीडी के होने की संभावना हो जाती है। उन्होंने बताया कि कम फाइबर वाला आहार लें जिससे आंत में बाधा न हो। पर्याप्त पोषण के लिए कैल्शियम, विटामिन डी और बी-12 सप्लिमेंट्स लें। कम वसा और फाइबर वाली चीजें थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाने से आइबीडी के लक्षणों में राहत मिलती है। ज्यादा पेय पदार्थ पीने से आइबीडी के लक्षणों से राहत मिलती है। एक अध्ययन के अनुसार सब्जियां, साबुत अनाज, फल, फलियां आइबीडी की संभावना को कम करती है।
डा. सुनील गोयल ने कहा कि ऐंठन व गैस पर नियंत्रण के लिए राजमां, छोले, बीन्स, प्याज, बंदगोभी जैसी चीजें खाने से बचें। ज्यादा मसालेदार चीजों और छिलके के साथ फलों और सब्जियों को खाने से बचें। दूध या गेहूं जैसी खाने की चीजें सहन न कर पाने जैसे लक्षणों पर ध्यान दें। नट्स, बीज, मकई, पॉपकॉर्न जैसी ज्यादा फाइबर वाली चीजों के अलावा धुम्रपान व एल्कोहल से परहेज करें। पाचन में आसानी के लिए खाने के बाद 30 मिनट तक आराम करें। 2-3 बार ज्यादा खाने की बजाये थोड़ी-थोड़ी मात्रा में 5-6 बार खाएं। कॉफी और चाय पीने से बचें। डा. सुनील गोयल एवं डा. विवेक बंसल ने बताया कि जीवनशैली में कुछ सुधार लाने के लिए ध्यान और योग द्वारा तनाव कम करने से आइबीडी के लक्षणों से राहत मिल सकती है। नियमित और हल्का व्यायाम न सिर्फ तनाव कम करने में सहायक होता है बल्कि साथ ही इससे शौच क्रिया भी नियमित हो सकती है।