पानीपत

GST : 920 करोड़ रुपए के फर्जीवाड़ा होने की आशंका

पानीपत,
जीएसटी के जरिए फर्जीवाड़े का नेटवर्क बढ़ता जा रहा है। फर्जी फर्मों का बिल बनाकर सौदेबाजी का खेल खेला जाता है। इससे सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लग रहा है। ऐसा ही एक फर्जीवाड़ा पानीपत में पकड़ा गया है। पुलिस ने 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों की कार से 24 चेक बुक, जिनमें साइन किए हुए ब्लैंक चेक हैं बरामद की। ज्यादातर चेक बुक आंध्रा बैंक की हैं। छह रबड़ की मोहरें बरामद की। इनमें डीईटीसी (उप आबकारी कराधान आयुक्त) ईटीओ (आबकारी कराधान अधिकारी) के नाम की मोहर भी है। इसके अतिरिक्त विभिन्न फर्मों के बिल की प्रतियां भी बरामद की। आरोपित जिस लैपटॉप से काम करते थे वह भी पुलिस ने जब्त कर लिया।
दरअसल, पुलिस ने नई अनाज मंडी रेलवे लाइन के टी-प्वाइंट पर जीएसटी फर्जीवाड़े में कार सवार तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों में राजेश मित्तल वासी देशराज कालोनी, इंद्र प्रताप सिंह देशराज कालोनी, मनीष वासी गली नंबर सात जाटल रोड शामिल हैं। पुलिस के अनुसार आरोपित बड़ी-बड़ी फर्मों से संपर्क कर उनका जीएसटी बचाने के लिए फर्जी फर्मों के अकाउंट नंबरों में पैसे जमा कराते थे। आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी सहित विभिन्न धाराओं में चांदनी बाग थाना मामला दर्ज किया है।
इन फर्मों की चेक बुक मिली
श्री बाला सुंदरी वुलटैक्स, आरके इंटरनेशनल, गणेश टेक्सटाइल, मनीष वूल टैक्स, गीता यार्न, ऋद्धि सिद्धि ओवरसीज, मां करनी यार्न टेक्सटाइल, अंश हॉस्पिटलिटी, रामेश्वरम, सोनी टैक्सटाइल, मानसी बिंदल और विपुल जिंदल के नाम की चेक बुक बरामद की।
मास्टर माइंड राजेश मित्तल की सेंट्रल जीएसटी भी तलाश में
920 करोड़ के जीएसटी फर्जीवाड़े में राजेश मित्तल मास्टर माइंड है। जिसकी सेंट्रल एक्साइज को भी तलाश थी। मास्टर माइंड के पकडऩे जाने से और अधिक फर्में पकड़ में आ सकती हैं। इससे जीएसटी फर्जीवाड़ा दो हजार करोड़ से अधिक बढ़ सकता है। जीएसटी फर्जीवाड़े में शामिल तीनों आरोपियों को पकडऩे वाली पुलिस टीम में स्टेट जीएसटी के अधिकारी को भी शामिल किया गया। आरोपियों को पुलिस ने 10 दिन के रिमांड पर ले लिया है। इन दस दिनों के बाद पुलिस पूछताछ करेगी। उसके बाद जीएसटी एक्ट के तहत इन को जीएसटी विभाग अपनी कस्टडी में लेने की तैयारी में है। धोखाधड़ी के केस में इन्हें जमानत आसानी से मिल सकती है। जीएसटी एक्ट में आसानी से जमानत नहीं मिल सकती। पांच करोड़ से ऊपर की टैक्स चोरी में जीएसटी एक्ट लागू होता है।
विभाग पर मिलीभगत का आरोप
उधर, टीम आवाज ने विभाग पर मामले में ढील देने का आरोप लगाते हुए कहा कि जिन फर्मों की चैक बुक मिली है उन सहित 11 फर्मों की सूची विभाग को 16 फरवरी को सौंपी गई थी। चार महीने में कोई कार्रवाई नहीं की गई। इनमें से एक दो फर्म को छोड़कर बाकी अब भी विभाग के रिकार्ड के मुताबिक चल रही हैं। विभाग जिन व्यापारिक फर्मों ने बिल लिए थे उनसे ही टैक्स की वसूली कर रहा है। नई-नई फर्म बनाकर फर्जीवाड़ा करने वालों से वसूली होनी चाहिए। विभाग ने इन फर्मों को जीएसटीएन नम्बर दिया। इनकी वेरिफिकेशन क्यों नहीं की गई। हमारे पास अभी 70 फर्मों की डिटेल उपलब्ध है जो फर्जीवाड़े में शामिल है।
फर्जीवाड़ा 920 करोड़ से अधिक
उपआबकारी कराधान आयुक्त राजाराम नैन ने बताया कि इन लोगों ने कितना फर्जीवाड़ा किया है इसकी जांच की जा रही है। फर्जीवाड़ा 920 करोड़ से बढ़ जाएगा। अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) हरियाणा सरकार से आरोपियों को जीएसटी एक्ट के तहत पकडऩे की अनुमति ली गई है। रिमांड खत्म होते ही इन्हें जीएसटी एक्ट के तहत पकड़ा जाएगा। फर्जी फर्मों की जानकारी मिलने के चार माह बाद भी एक्टिव रहने के सवाल पर डीईटीसी राजाराम ने कहा कि हमारे स्तर पर जो फर्में हैं उनको रद किया जा चुका है। कुछ फर्में सेंट्रल जीएसटी के दायरे में आती हैं। जीएसटी एक्ट 5 करोड़ से अधिक पर लग सकता है।
जीएसटी फर्जीवाड़े के तीन मेन अड्डे
सूत्रों के अनुसार जीएसटी फर्जीवाड़े के शहर में तीन मेन अड्डे हैं। इनमें काबड़ी रोड, देशराज कालोनी, गोहाना रोड मार्केट मुख्य रूप से शामिल हैं। जिन पर एजेंसियों की नजर है। फर्जीवाड़े की शिकायत पीएमओ से लेकर सीएमओ हाउस तक की गई है। फर्जीवाड़े के तार गुजरात से भी जुड़े हुए हैं।
चेक बुक से निकाले जाते हैं पैसे
साइन की हुई विभिन्न फर्मों की जो चैक बुक मिली है इनसे खातों से पैसे निकाले जाते हैं। जो फर्जी बिल दिया जाता है। उसके भुगतान आरटीजीएस अथवा चैक से लिए जाता है। पूरा काम कानून के दायरे में किया जाता है। यह सारा पैसा हवाला कारोबारियों के पास जाता है। इसमें माल का लेनदेन न होकर सिर्फ बिलों का लेनदेन ही किया जाता है।

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