जल्द मिलेगी ऑटोमैटिक एक्सटर्नल डिफीब्रीलेटर की सुविधा
आदमपुर (अग्रवाल)
एक समय में रेफरल अस्पताल बनकर रह गए आदमपुर के नागरिक अस्पताल में करीब 2 साल से मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं में लगातार विस्तार हो रहा है। इसी कड़ी में 4 दिसम्बर का दिन आदमपुर के सरकारी अस्पताल के इतिहास में लिखा गया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बुधवार को आदमपुर के नागरिक अस्पताल के इतिहास में 37 साल बाद दूसरी बार सिजेरियन डिलीवरी से एक महिला ने बच्चे को जन्म दिया। इसी के साथ ही आदमपुर के सरकारी अस्पताल में सिजेरियन डिलीवरी की सुविधा भी शुरू हो गई। करीब 37 साल पहले 1982 में पहली सिजेरियन डिलीवरी की गई थी। अब से पहले तक यहां पर केवल नोर्मल डिलीवरी ही करवाई जाती थी। लेकिन आपात स्थिति में सिजेरियन डिलीवरी के लिए महिलाओं को या तो निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता था या फिर अग्रोहा या हिसार ले जाना पड़ता था। जिससे कई बार काफी गंभीर स्थिति का भी सामना मरीजों को करना पड़ जाता था।
प्रत्येक बुधवार को होगी सिजेरियन डिलीवरी
नागरिक अस्पताल के एसएमओ डा.मुकेश कुमार ने बताया कि धीरे-धीरे अस्पताल में सुविधाओं का विस्तार हो रहा है। अस्पताल में जहां 37 साल बाद सिजेरियन डिलीवरी हुई है वहीं 3-4 साल बाद आप्रैशन थिसेटर शुरू हुआ है। हांसी के सरकारी अस्पताल से डा. अरुणा गर्ग के साथ आदमपुर सरकारी अस्पताल डा.सुनील भट्टी व स्टाफ ने सफल सिजेरियन डिलीवरी करवाई। महिला को 1 यूनिट ब्लड अग्रोहा मैडिकल कालेज से उपलब्ध करवाया गया। इसके अलावा प्रत्येक वीरवार को महिला नसबंदी कैंप लगाया जाता है। इसके अलावा दिल का दौरा पडऩे पर बंद धडक़न शुरू करने के लिए अस्पताल में ऑटोमैटिक एक्सटर्नल डिफीब्रीलेटर की सुविधा जल्द शुरू हो जाएगी।
अस्पताल में यह तय किया गया है रंगों का कोड
अस्पताल में आपदा के दौरान, बच्चा चोरी होने या अन्य किसी गंभीर हादसे की स्थिति में अफरातफरी न मचे, इसके लिए सुरक्षा प्लान तैयार किया गया है। यह प्लान रंगों के कोड के जरिए बनाया गया है।
कोड ब्लू (नीला): दिल का दौरा पडऩे की स्थिति में।
कोड यैलो (पीला): बाहरी आपदा, भूकम्प, बाढ़ आदि की स्थिति में।
कोड ओरेंज (संतरी): चोट लगने या खून बहने की स्थिति में।
कोड पिंक (गुलाबी): बच्चा चोरी होने या खो जाने की स्थिति में।
कोर्ड ब्लैक (काला): अस्पताल में खतरे की स्थिति में।