हिसार
जिले के मलापुर गांव के निवासी किसान सुभाष चंद्र के बड़े बेटे रोहताश खिलेरी दूसरी बार माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करेंगे। इससे पहले 16 मई 2018 को माउंट एवरेस्ट फतेह कर चुके हैं। फिलहाल वे सेवन समिट के मिशन पर हैं, जिनमें से वे अभी तक एशिया के माउंट एवरेस्ट, अफ्रीका के माउंट किलिमंजारो और यूरोप महाद्वीप के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एलब्रुश को फतेह कर चुके हैं। इस बार रोहताश खिलेरी दोबारा माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करेंगे इसकी तैयारियां रोहताश ने शुरू कर दी है। इस बार खास बात यह है कि रोहताश खिलेरी 24 घंटे तक माउंट एवरेस्ट के शिखर पर -60 से 70 डिग्री टेंपरेचर में इंडिया के फ्लैग को लहराएंगे यह एक विश्व रिकॉर्ड होगा। इससे पहले माउंट एवरेस्ट के शिखर पर अभी तक केवल नेपाल के बाबुश्री शेरपा के नाम ही माउंट एवरेस्ट पर 21 घंटे रुकने का रिकॉर्ड है।
रोहताश खिलेरी ने बताया कि माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई पर जाने से पहले वो यूरोप के रशिया में स्थित माउंट एलब्रुस की चढ़ाई करेंगे। माउंट एलब्रुस यूरोप महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी है जिसकी ऊंचाई 5642 मीटर है। सर्दी का मौसम होने के कारण वहां पर अब टेंपरेचर 40 से 50 डिग्री माइनस में है। इस टेंपरेचर में अपने आप को जिंदा रखने के लिए अपनी बॉडी के ऊपर एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। 9 जनवरी 2020 के बाद वो माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए जाएंगे और वह माउंट एलब्रुस के शिखर पर 24 घंटे रुकेंगे और यह उनका वर्ल्ड रिकॉर्ड होगा रोहताश खिलेरी ने बताया कि हड्डियों को गला देने वाली कड़कड़ाती ठंडी हवा बहुत ज्यादा चलती है जिससे जान भी जा सकती हैं, ऑक्सीजन की कमी होने पर पर्वतारोही का वहां रुकना काफी मुश्किल होता है। इस चैलेंजिंग लक्ष्य को पाने के लिए रोहताश ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके लिए रोहताश ने लंग्स की मजबूती के लिए स्वीमिंग, एकाग्र मन और शांति के लिए मेडिटेशन, फिट बॉडी के लिए साइकिलिंग और जिम हर रोज सुबह शाम करते है। रोहताश बताते हैं कि हर रोज वे लगभग दस किलोमीटर की रेस 15 किग्रा वजन के साथ कर रहे हैं। रोहताश ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और छोटे भाई विकास खिलेरी और गुरु भारतीय सेना के कमांडो अशोक शुकल, इंटरनेशनल स्किंग प्लेयर विकास राणा और कोर फिटनेस जिम के डायरेक्टर अमन वर्मा, मैनेजर श्रीकांत गोर को दिया है।