धर्म हिसार

कश्मीर में बंद बड़े मंदिर खुलवाने का प्रयास करेगी संत समिति : अविचल दास

खरड़ अलीपुर के स्वामी दीप्तानंद अवधूत आश्रम में एकत्रित हुआ संत समाज, आश्रम में चल रहे कार्यक्रम व मूर्ति प्रतिष्ठा कार्यक्रम में की शिरकत-

हिसार।
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी अविचल दास ने कहा है कि केन्द्र सरकार द्वारा धारा 370 समाप्त किये जाने के बाद कश्मीर की जनता ने न केवल राहत महसूस की है बल्कि वहां की जनता में नये विश्वास का संचार हुआ है। उन्होंने कहा कि अलगाववाद के दौरान कश्मीर में जो हजारों मंदिर बंद कर दिये गये थे, उन्हेें पुन: खुलवाने के लिए अखिल भारतीय संत समिति पुरजोर प्रयास करेगी।
स्वामी अविचलदास शुक्रवार को जिले के गांव खरड़ अलीपुर स्थित स्वामी दीप्तानंद अवधूत आश्रम में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने आश्रम के संचालक स्वामी कृष्णानंद को उत्तरी भारत का प्रभारी मनोनीत किया। पत्रकारों से बातचीत में स्वामी अविचल दास ने कहा कि धारा 370 हटाकर केन्द्र सरकार ने सराहनीय कार्य किया है। इसके लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह बधाई के पात्र है। उन्होंने केन्द्र सरकार द्वारा लाए गये सीएए प्रस्ताव का भी समर्थन किया और कहा कि यह केन्द्र का ऐतिहासिक फैसला है। उन्होंने कहा कि संत समाज समिति सीएए का भी समर्थन करती है। उन्होंने कहा कि सीएए की आड़ में कुछ लोग देश को तोडऩे वाली बातें कर रहे हैं, जो गलत है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को करारा जवाब देने की जरूरत है।

इस अवसर पर आश्रम में होने वाले कार्यक्रम की जानकारी देते हुए आश्रम के संचालक स्वामी कृष्णानंद महाराज ने कहा कि आश्रम में 11 दिवसीय कार्यक्रम17 जनवरी से चल रहा है। इसी कड़ी में शुक्रवार को सुबह पूजा अर्चना के बाद सतगुरू बंदी छोड़ स्वामी दीप्तानंद जी महाराज व सतगुरू बंदीछोड़ स्वामी हरिहरानंद महाराज के मूर्ति स्वरूप की शोभा यात्रा निकाली गई। शुक्रवार रात्रि को सत्संग का आयोजन किया गया। शनिवार को सुबह सवा 7 बजे हवन होगा तथा सुबह सवा 8 बजे अखंड पाठों का भोग डाला जाएगा। सुबह 9 बजे मूर्ति प्रतिष्ठा की जाएगी। दोपहर को 11 बजे से 2 बजे तक सत्संग व प्रवचन और 2 बजे के बाद भंडारा होगा।
इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी मोहनदास जी, धर्म समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी कमल सागर, स्वामी अनिल दहिया, स्वामी सदानंद, स्वामी गोपालानंद, स्वामी अरूणादास, स्वामी दिव्यानंद के अलावा अनेक संत व अलग-अलग आश्रमों के संचालक व गद्दीनशीन उपस्थित थे।

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