हिसार

त्रासदी के बाद विस्थापितों से नहीं हुआ नैतिक न्याय : अशोक बिश्नोई

इतिहास को जीवन देने को महापुरुषों को जीवंत करना होगा, पीएम व सीएम के नाम पत्र में संस्था ने दिए सुझाव

विभिन्न शहरों व संस्थानों के नाम महापुरुषों के नाम रखने की उठाई मांग

हिसार,
ब्रांडेड थॉट्स संस्था ने सांस्कृतिक पहलुओं से जुड़े विभिन्न सामाजिक मुद्दों परमुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री के नाम खुला पत्र सौंपा है। संस्था का कहना है कि त्रासदी के बाद विस्थापितों से नैतिक न्याय नहीं हुआ।
ब्रांडेड थाट्स के प्रमुख अशोक बिश्नोई ने पत्रकार वार्ता कहा कि हमारा प्रमुख मुद्दा यह है कि विभाजन के समय जब हिन्दुस्तान के दो टुकड़े हुए थे उस समय जो त्रासदी हुई थी जब दूसरे टुकड़े का नाम पाकिस्तान रखा गया। वहां से आए लोगों को जिनके पास वहां जमीनें भी थी लेकिन उन्हें यहां पर जमीने भी नहीं दी गई। उसकी त्रासदी आज भी विस्थापित झेल रहे हैं और आज तक उन्हें नैतिक न्याय नहीं मिल पाया है। कांफ्रेंस में संस्था अध्यक्ष अशोक बिश्नोई व सदस्य अंकित राज शर्मा ने बताया कि आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे देश के लिए भारत की आजादी जितना सुखद सपना थी उससे कहीं अधिक इसका बंटवारा त्रासदी लेकर आया था। आजादी के समय विस्थापित समुदाय अनंत कष्टों से गुजरा था। आज भले ही वह यादें और वह लोग धूमिल हो चुके हैं लेकिन एक नैतिक न्याय आज भी अधूरा है। तत्कालीन सरकारों ने कागजों की खानापूर्ति तो करदी लेकिन वास्तविकता से मुंह मोड़ लिया। इस नैतिक न्याय को अब सरकारों और समाज को मिलकर ही इस समुदाय के साथ करना होगा।
प्रेस वार्ता में सांस्कृतिक पहलुओं से जुड़े हुए विभिन्न सामाजिक विषयों को रखा गया और प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम खुला पत्र रखा गया। सदस्य अंकित राज शर्मा ने बताया कि हमारे देश की संस्कृति और इतिहास के साथ जो खिलवाड़ हुआ, जो बदलाव हुआ उसके चलते हमारी आने वाली नस्लें खुद को और खुद के स्वाभिमान को भूल चुकी हैं, लेकिन अब जागरूकता की आवश्यकता है। यदि कुछ छोटे-छोटे परिवर्तनों से हमारा यह लक्ष्य संभव हो सके तो इसके लिए एक खुले पत्र के माध्यम से कुछ सुझाव हम सरकार और समाज को प्रेषित कर रहे हैं। उन्होंने सरकार के समक्ष फतेहाबाद का नाम वीर शहीद साहिब जादे फतेह सिंह के नाम पर फतह नगर, हांसी का नाम वीर हकीकत राय नगर, बरवाला शहर का नाम महर्षि वाल्मीकि नगर और हिसार का नाम महाराजा अग्रसेन के नाम पर रखने का प्रस्ताव रखा।
सदस्य गौरव सिंह गिरधर ने बताया इसके साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर भी आईआईटी और आईटीआई जैसे संस्थानों के नाम प्रजापति दक्ष और विश्वकर्मा के नाम पर वहीं एम्स और आईआईएम जैसे संस्थानों के नाम भगवान धनवंतरि, महर्षि चरक, सुश्रुत, च्यवन, चाणक्य, कौटिल्य आदि के नाम पर रखने का सुझाव पत्र के माध्यम से देश के प्रधानमंत्री प्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजा गया है।

Related posts

संक्रमण के कारण विदेशों में फंसे जिला निवासियों की उनके परिजन प्रशासन को दें सूचना

पानी की किल्लत से क्षेत्र की जमीन बंजर होने के कगार पर: गंगवा

सब्जियों की कास्त व नर्सरी उत्पादन से अन्य फसलों की तुलना में मिल सकता ज्यादा मुनाफा