हिसार

टिड्डी दल पर नियंत्रण बारे कृषि अधिकारियों की बैठक आयोजित

हिसार,
कृषि निदेशालय के निर्देशानुसार उप-कृषि निदेशक के कार्यालय में टिड्डी दल के नियंत्रण बारे समीक्षा बैठक की गई। बैठक में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. योगेश कुमार ने भाग लिया। उन्होंने बताया कि टिड्डी दल के प्रकोप बारे अभी तक पाकिस्तान सीमा से लगते हुए राज्यों, राजस्थान, पंजाब व गुजरात में आशंका जताई गई है। इसके अलावा राजस्थान व पंजाब से लगते हुए हरियाणा के सिरसा जिले में टिड्डी दल की उपस्थिति दर्ज की गई है।
उन्होंने बैठक में उपस्थित अधिकारियों को टिड्डी के जीवन चक्र एवं प्रबंधन बारे विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि टिड्डी एक झुण्ड के रूप में चलता है और टिड्डी मादा बुवई मिट्टी में छेद करके 5 से 15 सेंटीमीटर गहरी उचित नमी में अंडे देती है। अंडे 7 से 9 मिलीमीटर लंबे एवं मुड़े हुए चावल के दाने के समान पीले रंग के होते हैं। अंडों से निकले शिशु जिनको हापर या फूदका भी कहते हैं ये सबसे ज्यादा नुकसान करते हैं। हापर्स से बनी प्रौढ़ टिड्डी का रंग गुलाबी होता है जो टिड्डी की विनाशकारी अवस्था है। पूर्ण रूप से विकसित प्रौढ़ टिड्डी का रंग स्लेटी होता है।
उन्होंने बताया कि टिड्डी रात को झाडिय़ों एवं पेड़ों पर विश्राम करती है। सुबह के समय जैसे-जैसे तापमान बढऩा शुरूहोता है तो टिड्डी दल उडऩा आरंभ करते हैं। टिड्डी का झुंड 5 से 200 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है। उप कृषि निदेशक डॉ. विनोद फोगाट ने जिले के कृषि अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे सभी गांवों में मुनियादी करवाएं ताकि लोगों में टिड्डी दल के बारे में जागरूकता पैदा हो। उन्होंने कहा कि अधिकारी अपनी रिर्पोट प्रतिदिन करें ताकि संकलित रिर्पोट निदेशालय को भेजी जा सके तथा एक्शन प्लान तैयार किया जा सके। उन्होंने टिड्डी दल के प्रबंधन के लिए लैम्बडा, मैलाथियान दवाई के प्रयोग बारे भी निर्देश दिए। बैठक में हिसार उपमण्डल कृषि अधिकारी कार्यालय के सभी विषय विशेषज्ञों एवं खंड कृषि अधिकारियों ने भाग लिया।

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