हिसार

विद्यार्थियों के लिए व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन

गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के बायो एंड नेनो टेक्नोलॉजी विभाग ने किया आयोजन

हिसार.
गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के बायो एंड नेनो टेक्नोलॉजी विभाग के सौजन्य से विभाग के विद्यार्थियों के लिए व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया गया। इस श्रृंखला के लिए भारत और विदेश के विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों के विषय विशेषज्ञों द्वारा विद्यार्थियों को अपने शोध अनुभवों से अवगत कराया गया। यह कार्यक्रम भारत सरकार के बायो टेक्नोलोजी विभाग द्वारा प्रायोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो. विनोद छोकर ने की।
टीईआरआई डेकन नेनो बायोटेक्नोलॉजी सैंटर, गुरुग्राम के प्रो. के.सी. बंसल ने ‘एक्साइटमैंट इन बायोटेक्नोलॉजी : माई जर्नी फ्रोम हरियाणा टू हार्वर्ड’ विषय पर व्याख्यान दिया। पंजाब विश्वविद्यालय चण्डीगढ़ की बायोकेमिस्ट्री विभाग अध्यक्ष की प्रो. अर्चना भटनागर ने ‘ऑटोइम्यूनिटी डिसऑर्डर : देयर जेनेसिसएंड करेंट थेरेपीज’ विषय पर तथा सैंटर फॉर प्लांट बायोटेक्नोलॉजी, हिसार के पूर्व तकनीकी निदेशक प्रो. राम सी. यादव ने ‘ग्रीन रिवोलुशन टू जेने रिवोलुशन’ विषय पर तथा नेशनल एग्री-फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट, मोहाली की बायोटेक्नोलॉजी डिवीजन के साइंटिस्ट-ई डा. सिद्धार्थ तिवारी ने ‘एप्लीकेशन ऑफ जीनोम एडिटिंग इन क्रोप प्लांटस इम्प्रूवमैंट’ विषय पर व्याख्यान दिया। ऐबरिस्टविद विश्वविद्यालय, पेंग्लियास, यूके के बायोलोजिकल, इनवायर्नमैंटल एंड रूरल साईंसिज विभाग के प्रो. रतन एस. यादव ने ‘बायोटेक्नोलॉजी फॉर एक्सलरेटिंग प्लांट ब्रीडिंग’ विषय पर व्याख्यान दिया।
प्रो. के.सी. बंसल ने बायोटेक्नोलोजी के विषय क्षेत्र, भविष्य व दृष्टिकोण के बारे में चर्चा की और बताया कि कैसे विद्यार्थी बायोटेक्नोलॉजी शोध में अपना केरियर बना सकते हैं। उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों, जिन पर बायोटेक्नोलॉजिस्ट ध्यान दे रहे हैं, के बारे में विद्यार्थियों को विस्तृत जानकारी दी।
प्रो. अर्चना भटनागर ने ऑटोइम्यून बीमारियों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि बीमारियां कैसे पैदा होती हैं तथा उन्हें कैसे ठीक किया जा सकता है। उन्होंने बताया है कि कैसे एक ऑटोइम्यून बीमारी के प्राथमिक लक्षण सामान्य हो सकते हैं, जैसे कि थकान, कम-ग्रेड बुखार और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई। ऑटोइम्यून बीमारियों को पहली बार में ठीक करना मुश्किल होता है। इस प्रकार की कोई कठिनाई हो तो डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं। दुनिया भर में लगभग 500 मिलियन लोग विशेष रूप से कामकाजी और प्रसव उम्र की महिलाएं ऑटोइम्यून बीमारियों से पीड़ित हैं। यदि संदेह है कि यह एक ऑटोइम्यून समस्या हो सकती है, तो किसी भी खाद्य एलर्जी की पहचान करना और उससे निपटना बहुत महत्वपूर्ण है। प्रत्येक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर में अलग-अलग आहार और चिकित्सीय परामर्श होता है।
प्रो. राम सी. यादव ने बायोटेक्नोलॉजी दृष्टिकोण के माध्यम से फसल उत्पादन में वृद्धि और अनाज की फसलों में गुणवत्ता में सुधार पर अत्यंत महत्वपूर्ण चर्चा की। फसली पौधों के आनुवंशिक सुधार खाद्य उत्पादन बढ़ाने के लिए सबसे व्यवहार्य दृष्टिकोण होगा।
डा. सिद्धार्थ तिवारी ने विद्यार्थियों को नई गुणवत्ता के गुणों को जोड़ने के माध्यम से फसल सुधार और मूल्य संवर्धन के लिए सीआरआईएसपीआर की नवीनतम तकनीक के बारे में बताया। सीआरआईएसपीआर फसल सुधार के लिए बायोटेक्नोलोजिस्ट को विकल्प मुहैया करवाती है। उन्होंने बताया कि उत्पादन बढ़ाने के लिए फसल सुधार में जीनोम एडिटिंग टूल्स का प्रयोग, पोषण मूल्य, रोग प्रतिरोध और अन्य लक्षण भविष्य के प्रमुख क्षेत्र होंगे।
प्रो. रतन एस. यादव ने पौध प्रजनन को गति देने के लिए बायोटेक्नोलोजी के उपयोग के बारे में चर्चा की। उन्होंने बताया कि बायोटेक्नोलोजी व पौध प्रजनन के माध्यम से खाद्य और चारे की नई किस्मों का उत्पादन किया जा सकता है। बायोटेक्नोलॉजिकल पद्धति पौधों के प्रजनकों द्वारा अपनाए जाने वाले विकल्पों और बहुत प्रभावी उपकरणों में से एक है। फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता से किसान और अनाज फसल उत्पादक लाभान्वित होंगे। नई बायोटेक्नोलॉजी आधारित प्रजनन तकनीक वैज्ञानिकों को पारंपरिक प्रजनन की तुलना में वांछित लक्षणों को ठीक करने और जल्दी से सम्मिलित करने की क्षमता प्रदान करती है।
विभागाध्यक्ष प्रो. विनोद छोकर ने कहा कि वक्ताओं की विशेषज्ञता से बायोटेक्नोलॉजी में शोध के क्षेत्र में केरियर बनाने वाले विद्यार्थियों को अत्यंत लाभ होगा। सभी वक्ताओं ने बायोटेक्नोलॉजी के नए आयामों के बारे में विस्तार से बताया। इस व्याख्यान श्रृंखला के दौरान विभाग के शिक्षक प्रो. अशोक चौधरी, प्रो. नीरज दिलबागी, प्रो. नमिता सिंह, डा. अनिल कुमार, डा. संदीप कुमार, डा. राजेश ठाकुर, डा. संतोष, डा. सपना, डा. राकेश यादव, डा. अनीता गिल, डा. के.डी. रावत, डा. रविंदर कुमार, डा. नयन तारा, डा. मीनाक्षी, डा. मंजू, प्रो. एम.एल. सांगवान व प्रो. एस.एस.डुडेजा उपस्थित रहे।

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