हिसार

स्याहड़वा के स्ट्रॉबेरी उत्पादक किसानों के लिए उपलब्ध करवाई जाएगी फ्रूट प्रोसेसिंग यूनिट : उपायुक्त

ब्रिटिश हाई कमीशन के 10 सदस्यीय दल ने जिला के 2 गांवों में जाकर स्ट्रॉबेरी व गाजर उगाने की तकनीक की जानकारी ली

हिसार,
ब्रिटिश हाई कमीशन के 10 सदस्यीय दल ने आज जिला के गांव स्याहड़वा व बहबलपुर का दौरा कर यहां बागवानी व कृषि के क्षेत्र में यहां के किसानों द्वारा अपनाई जा रही तकनीक की जानकारी ली। इस दौरान उपायुक्त डॉ प्रियंका सोनी, एसडीएम डॉ वेदप्रकाश, बागवानी उपनिदेशक डॉ सुभाष चन्द्र, डॉ. पवन वर्मा व जिला बागवानी अधिकारी सुरेंद्र सिहाग सहित अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।
ब्रिटिश हाई कमिशन की टीम ने गांव स्याहड़वा में किसान महेंद्र सिंह के 10 एकड़ खेत में लगाई गई स्ट्रॉबेरी की फसल का निरीक्षण किया। इस दौरान आसपास के अनेक किसान भी मौके पर पहुंचे और क्षेत्र में की जा रही स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में प्रतिनिधिमंडल को विस्तार से जानकारी दी। दल के सदस्यों ने फसल में आने वाली बीमारियों और इनकी रोकथाम के बारे में किए जाने वाले उपायों के संबंध में किसानों से जानकारी ली उन्होंने फसल की बिक्री के लिए अपनाई जाने वाली रणनीति के बारे में भी किसानों से पूछा। उन्होंने स्ट्रॉबेरी की पैकिंग प्रक्रिया को भी बड़े गौर से देखा।
किसानों ने बताया की वह पहले हिमाचल प्रदेश अथवा पुणे से स्ट्रॉबेरी की पौध लेकर आते थे जिससे खेती की लागत बढ़ जाती थी। लेकिन अब किसानों ने यहीं पर स्ट्रॉबेरी की पौध तैयार करना शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि 1 एकड़ में लगभग 40 हजार पौधे लगाए जाते हैं। इस समय यहां मुख्यत: विंटर डाउन, कैमारोसा व स्वीट चार्ली किस्मों की पैदावार ली जा रही है। प्रति एकड़ 100 से 150 क्विंटल तक पैदावार हो रही है जो औसतन 800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिकती है। फसल का फंगस आदि से बचाव करने के लिए कीटनाशक का छिडक़ाव करना पड़ता है।
किसानों ने बताया की सरकार की योजना का लाभ उठाने के लिए अब उन्होंने मिलकर एक समूह बनाया है जिसका नाम किसान खुशी प्रोड्यूसर कंपनी है। इस समूह के माध्यम से उन्हें अब सरकारी सहायता मिलने का मार्ग प्रशस्त हो गया है और अब वह बागवानी विभाग की सहायता से अपने आउटलेट खोलने की भी तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मार्केटिंग के लिए अब उन्हें बागवानी विभाग की पर्याप्त मदद मिल रही है।

उपायुक्त डॉ प्रियंका सोनी ने ब्रिटिश प्रतिनिधि दल का स्वागत करते हुए इस बात पर खुशी जताई कि आज जिला के किसान परंपरागत खेती की बजाए आधुनिक खेती कर रहे हैं और प्रगति की ओर अग्रसर हैं। उन्होंने कहा कि इस रेतीले क्षेत्र में पिछले 20 साल से वैज्ञानिक विधि से की जा रही है स्ट्रॉबेरी की खेती अनेक किसानों के आर्थिक हालात बदल चुकी है और इनकी कृषि पद्घति का अध्ययन करने के लिए विदेश से लोग यहां आ रहे हैं।
उपायुक्त ने उम्मीद जताई कि आने वाली पीढ़ी नई तकनीकों को अपनाकर स्ट्रॉबेरी की खेती को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगी। उन्होंने कहा की स्ट्रॉबेरी की पोस्ट हार्वेस्टिंग और मार्केटिंग करने के लिए सरकार व बागवानी विभाग द्वारा किसानों की पूरी मदद की जा रही है। विभाग के माध्यम से स्याहड़वा में स्ट्रॉबेरी उत्पादक किसानों के लिए फ्रूट प्रोसेसिंग यूनिट लगाई जाएगी। इसके अलावा किसानों के लिए कोल्ड स्टोरेज और रेफ्रिजरेटर की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएंगी ताकि स्ट्रॉबेरी के फल को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सके। उन्होंने किसानों को खेती के साथ-साथ मार्केटिंग की रणनीतियों पर भी ध्यान देने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि किसानों के सुझावों व समस्याओं को सरकार के माध्यम से प्राथमिकता के आधार पर हल करवाया जाएगा।
ब्रिटिश हाई कमिशन की टीम ने गांव बहबलपुर में प्रवीण कुमार व जगमाल नंबरदार के खेत पर जाकर यहां उगाई गई गाजर की फसल का निरीक्षण किया। उन्होंने यहां विकसित किए गए गाजर के देसी बीज, गाजर की धुलाई, ग्रेडिंग, पैकिंग तथा सीड प्रोडक्शन यूनिट को देखा। ब्रिटिश हाई कमिशन की टीम में जसदीप जस्सल, प्रो. टोबी पीटर्स, रिचर्ड क्लोगन, रॉस न्यूमन, एलीजाबेथ वार्म, ईयान व किरण शर्मा सहित अन्य प्रतिनिधि शामिल थे।

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