हिसार

बहुत से दर्द तो हम बांट भी नहीं सकते, बहुत से बोझ अकेले उठाने पडते हैं

चन्दन साहित्य मंच ने किया मुशायरे का आयोजन

हिसार,
चन्दन साहित्य मंच ने अपने मंच गठन के सुनहरे 15 वर्ष पूर्ति के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायरों को आमंत्रित कर ‘ट्यूलिप रिसॉर्ट’ में भव्य मुशायरे का आयोजन किया। भिवानी के वरिष्ठ शायर डॉ. विजेंद्र गाफिल की अध्यक्षता में आयोजित मुशायरे में पूर्व मेयर शकुंतला राजलीवाला ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। संस्था की संरक्षक पंकज संधीर तथा डॉ. मीरा सिवाच ने अतिथियों की अगुवाई व अभिनंदन किया। सुकंठी पूनम मनचंदा ने मां शारदे का सस्वर पाठ कर मुशायरे का आगाज़ किया। फरीदाबाद से आए प्रसिद्ध कवि व एंकर सचिन महत्ता ने खूबसूरत शायरी के अंदाज में मुशायरे का संचालन किया। संस्था अध्यक्ष महेन्द्र जैन ने आमंत्रित अतिथियों का अभिनंदन किया। उपाध्यक्ष ऋतु कौशिक ने आमंत्रित शायरों का उन्हीं के शेर उद्धृत कर उनका परिचय दिया।
साहित्य सचिव नीरज मनचंदा ने बताया कि दिल्ली से मोईन शादाब, रिजवान बानो इकरा, गायत्री महत्ता, बदायूं उत्तर प्रदेश से वसीम नादिर, सिरसा से दिनेश हरमन तथा भिवानी से डॉ. विजेंद्र गाफिल ने अपनी बेहद उम्दा शायरी से श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी। दिल्ली से पधारे मोईन शादाब की शायदी की एक बानगी देखिये – ‘किस एहतियात से सपने सजाने पड़ते हैं, ये संगरेजे पलक से उठाने पड़ते हैं, बहुत से दर्द तो हम बांट भी नहीं सकते, बहुत से बोझ अकेले उठाने पडते हैं। ’ दिल्ली से ही पधारी रिजवाना बानो इकरा का शेर देखिए – ‘तुम्हारे बाद ये जाना कि दुनिया, बुरी तो है मगर इतनी नहीं है।’ दिल्ली से ही गायत्री महत्ता के शेर का भी खूब लुत्फ उठाया गया ‘जो कुछ मुझ से कमाया जा रहा है, महज घर का किराया जा रहा है।’ बदायूं उत्तर प्रदेश से तशरीफ लाए वसीम नादिर की उम्दा शायरी के कुछ शेर इस प्रकार थे – ‘उम्र भर दुश्मनों के साथ रहे, आग से रोशनी का काम लिया’ तथा ‘मुहब्बत से वफा को जानता हूं, ये सब कपड़े मेरे पहने हुए हैं।’ भिवानी के वरिष्ठ शायर डॉ. विजेंद्र गाफिल ने अपनी शायरी से खूब वाहवाही लूटी – ‘कोई आए या न आए ये है मरजी उसकी, मेरी आदत सी है कमरे को सजा कर रखना।’ सिरसा के प्रसिद्ध शायर हरमन दिनेश ने भी खूब तालियां बटोरी – ‘घर में जब रोटियों के लाले थे, हमने उडऩे के ख्वाब पाले थे।’ नगर के गजल प्रेमियों व सुधीजनों से खचाखच भरे हॉल में दर्शकों ने तीन घंटे तक शेरो-शायरी का खूब लुत्फ उठाया।

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