गाय की सेवा से मिलता है चारों धाम की यात्रा का फल : सुखदेवानंद महाराज
हिसार,
सच्चे हृदय व श्रद्धा के साथ अगर हम बेसहारा व घायल गौमाता की नि:स्वार्थ भाव से सेवा करेंगे तो हमें चारों धामों की यात्रा का फल प्राप्त होगा। इतना ही नहीं अगर हम प्यार व श्रद्धा से गौमाता की पीठ पर अपने हाथ से उसे सहलाते हैं तो कई रोगों से निजात मिलेगी। इसलिए हमें गौमाता की सेवा अवश्य करनी चाहिए।
यह बात श्रीश्री 108 श्री सुखदेवानंद महाराज ने निकटवर्ती गांव हिंदवान में स्थित गौसेवार्थ आश्रम में मनाए गए श्रीश्री 1008 ब्रह्मलीन गुरुवर ओमानंद महाराज के जन्मोत्व पर आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालुओं के बीच कही। आश्रम में गौ सेवार्थ आश्रम ट्रस्ट के मुख्य सेवादार मास्टर रोहताश व गौभक्त जगबीर पूनिया के विशेष सहयोग से गौमाता के लिए गुड़, दलिया, घी, खल, बिनौला व हरे चारे से निर्मित एक क्विंटल का केक काटा गया। दूसरे नगरों से पहुंचे संतो की उपस्थिति में मास्टर रोहताश व जगबीर पूनिया ने बताया कि आज अपने स्वार्थ के लिए कुछ स्वार्थी लोग गौमाता का दूध निकालकर उसे सडक़ों पर बेसहारा छोड़ देते हैं। वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया है कि जननी मां के दूध व देशी गाय मां के दूध में एक ही तत्व पाया जाता है लेकिन आज के दौर में शिशुओं को न जननी मां का दूध मिल रहा है न देशी गाय माता का। आज के भौतिकवादी युग में इसलिए शिशुओं में संस्कारों की कमी पाई जा रही है। शिशुओं को जननी मां का दूध न मिलने के कारण वे मां की आज्ञा का पालन नहीं करते। वहीं गौमाता का पंचगव्य भी हमारी सनातन संस्कृति पहचान है। सनातन धर्म में किसी भी पूजा के लिए पंच गव्य को लेना जरूरी होता है। पंच गव्य भी गौ के दूध, दूध से निर्मित दही, गौ का घी, गौ मूत्र व गौ के गोबर का होना जरूरी है। पंच गव्य को ग्रहण करने के बाद ही यजमान पूजा का अधिकारी होता है। आज के भौतिकवादी युग में गौ से निर्मित पंचगव्य मिलना मुश्किल है और पंचगव्य के अभाव में ही ब्राह्मण पूजा करा रहे हैं इसलिए पूजा का फल भी पूर्ण नहीं मिल रहा है। सभी संस्कारों में भी गौ माता जरूरी है सनातन धर्म में सोलह संस्कार है और सभी संस्कारो में गौ माता जरूरी है। जननी माँ तो बच्चे को कुछ तय सीमा तक दूध पिलाती है लेकिन गौ माता जब तक दूध देती है दूध पिलाती है। हमने गऊमाता और उसकी अहमियत को भुला दिया है उसी का परिणाम है कि आज हमारे समाज में अनेक विसंगितयां आ गई हैं। भारतीय गौरव को पुन: प्राप्त करने के लिए हमें गौमाता को उसका खोया सम्मान लौटाना ही पड़ेगा।
इस मौके पर कलाकारों ने गुरु महिमा का भजन-सत्संग किया। गुरु की पावन आरती के उपरांत सभी ने प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर कमलानंद महाराज, श्यामानंद महाराज, सदानंद महाराज, दिव्यानंद महाराज, शब्दानंद महाराज, दलबीरानंद महाराज, महंत राकेशानंद, मास्टर रोहताश, जगबीर पूनिया, समाज सेविका सोनिका पूनिया, दीपक लोहान, विकास, रामभक्त सैनी, रोली राम सोनू शर्मा शमशेर सिंह सोनू जाखड़ रामदेव सैनी आत्माराम नानूराम सुंदरलाल राजेंद्र सुथार के अलावा काफी संख्या में गांववासी उपस्थित रहे।