आदमपुर (अग्रवाल)
भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं के सुनने से मानव का मन पवित्र हो जाता है, मन में भक्ति की भावना जागृत होती है। भक्ति करने से मानव का अंतकरण मखन की तरह श्वेत, शुद्ध हो जाता है जिसे भगवान अपने से लगा लेते है और मानव का कल्याण हो जाता है। ये विचार स्वामी सदानंद महाराज ने स्थानीय व्यापार मंडल धर्मशाला में चल रही श्रीकृष्ण कथा के दूसरे दिन श्रद्धालुओं को धर्मलाभ देते हुए कही।
स्वामी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण द्वारा बाल्यकाल की लीलाओं वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने जहां पूतना का वध किया वही अपनी उंगुली पर पर्वत उठाना, कालिया नाग और उसकी दस पत्नियों (नागिनें) का अंत कर लोगों को उनके खौफ से मुक्त्ति दिलाने का काम किया। कथा के दौरान स्वामी सदानंद महाराज ने नंद का लाला मुरली वाला करता काम विशाल जाये हम बलिहारी भजन द्वारा भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं के साथ ब्रह्म जी का शक दूर करना, महारास लीला, शिव का रास में गोपी बनकर आना, कंस वध, उद्धव गीता व भगवान श्री कृष्ण-रूकमणी विवाह का विस्तार पूर्वक वर्णन किया।
स्वामी जी ने कहा कि सच्चे मानव के लिए मन का चिंतन श्रेष्ठ होना चहिए, यदि मन का चिंतन श्रेष्ठ नही होगा तो वह मानव पशु समान है। उन्होंने चीरहरण का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि चीरहरण का मतलब आत्मा और परमात्मा के बीच पड़े अंहकार रुपी पर्दे को हटाना है। उन्होंने बताया कि मानव यदि इस अंहकार रुपी पर्दे को हटा दे तो उसे परमात्मा की प्राप्ति हो सकती है। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अपने मां-बाप और गुरुदेव की आज्ञा का पालन करता है उसे सभी तीर्थों का पुण्यकर्म घर बैठे ही मिल जाता है। मां-बाप और गुरु आज्ञा में ही सभी तीर्थों का पुण्य समाया है। अगर कोई भी व्यक्ति अपने मां-बाप और गुरुदेव की आज्ञा नहीं मानता और उनका तिरस्कार करता है तो वह व्यक्ति कितने भी कुंभ के मेलों में स्नान करले या दान-पुण्य करले उसका कभी कल्याण नहीं हो सकता।
इस मौके पर व्यापार मंडल प्रधान दीनदयाल छानीवाले, उप—प्रधान धर्मबीर खिचड़, मा.गुलाब शर्मा, अशोक सीसवालिया, अनिल बंसल, भालसिंह शेरड़ा, रंजन महिपाल, रतनलाल, सुभाष कुलेरी वाले, सीए नवीन अग्रवाल, बैजनाथ, छोटूराम खिचड़, मामराज मिश्रा, महेश अग्रवाल, मोहित बंसल, मनीष बंसल, राजेश सहित अनेक लोग मौजूद रहे।