हिसार

अगर अब लॉकडाऊन का पालन नहीं किया तो दो-तीन महीने के लिए घरों में होना पड़ सकता है लॉक : सहजानंद नाथ

हमें इस स्थिति का साहस, सूझबूझ और धैर्य से करना होगा सामना, लॉक डाऊन का समय बढऩे के साथ आर्थिक आपतकाल का भी करना पड़ सकता है सामना

हिसार,
कोरोना महामारी से जूझ रहे देश की स्थिति के बीच स्वामी सहजानंद ने एक और भविष्यवाणी करके चौंका दिया है। उन्होंने भविष्यवाणी की है कि हो सकता है कोरोना के चलते भविष्य में भारत को आर्थिक संकट का सामना करना पड़े और आर्थिक आपातकाल की घोषणा हो। सहजानंद नाथ ने कहा कि अगर ऐसा होता है तो यह विचारणीय होगा कि उन्होंने यह भविष्यवाणी कभी भी भय उत्पन्न करने या प्रसिद्धि प्राप्त करने के लिए नहीं की।
सहजानंद नाथ ने कहा कि उन्होंने तो हमेशा सरकार और संगठनों को चेताया कि अगर ऐसा होता है तो हमारी क्या तैयारी है। उन्होंने बताया कि पूर्व में भी उनकी अनेक भविष्यवाणियां सैकड़ों सिद्ध हुई हैं जिनमें तारीख और समय भी निश्चित किया गया था जिनमें सोनिया गांधी कभी जीवन में प्रधानमंत्री नहीं बनेगी। 26 जनवरी 2000 को भारत के भुज में भूकंप आएगा और ना जाने कितनी भविष्यवाणियां की जो सत्य साबित हुई हैं।
कोरोना को लेकर भी उन्होंने लिखा था 24 मार्च से भारत में कोरोना का प्रकोप पूर्ण जोर पकड़ेगा और पूरा भारत लोक डाउन होगा। इसी के मद्देनजर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 22 मार्च को 1 दिन का लोक डाउन किया तो उनकी यह बात सत्य सिद्ध हुई। अभी जो 21 दिन का लोक डाउन है वास्तविकता में यह लोक डाउन भी अगले एक-दो महीने तक बढ़ सकता है इसके लिए हमें तैयार रहना चाहिए।
सहजानंद नाथ ने कहा कि प्रकृति ने आपको मौका दिया है अपनों के साथ समय बिताने का और सतत विकास की प्रक्रिया को अपनाने का। मिशन ग्रीन फाऊंडेशन के संस्थापक होने के नाते स्वामी सहजानंद नाथ देश और राज्यों को अनेक बार सचेत करते रहे हैं कि 1 दिन ऐसा आएगा कि पूरे विश्व को इमरजेंसी लगानी पड़ेगी। इसके लिए उन्होंने कई राष्ट्राध्यक्षों को भी लेटर लिखे थे और एमरजेंसी लागू हुई। आज भारत उस दौर से गुजर रहा है। आज सांप्रदायिकता, धर्म, शिक्षा, स्वास्थ्य के अंदर पूर्णरूपेण व्यापार शामिल हो चुका भावनाएं, संवेदनाएं खत्म हो गई हैं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थिति हमें बताती है कि हम कितने अकेले और असहाय हैं। हम इस परिस्थिति से बच सकते हैं अगर हम सतत विकास की प्रक्रिया को अपनाएं क्योंकि हर समस्या के साथ उपाय भी निश्चित किए गए हैं। इसीलिए कुछ ऐसा घटित होने से पहले उपाय कर लिया जाए तो हम मुसीबत से बच सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के पास बड़े-बड़े बुद्धिजीवी और दूरदर्शिता है परंतु महामारी के आगे किसी की नहीं चलती। आपको अपनी स्वास्थ्य व अर्थ की तैयारियां देखनी पड़ती हैं। भारत के संविधान में निश्चित रूप से लिखा है कि आर्थिक आपातकाल क्या होता है। 1947 से लेकर आज तक भारत में आर्थिक आपातकाल नहीं लगा।
सहजानंद जी ने यह बात कह कर चौंका दिया है कि हम आर्थिक आपातकाल की ओर अग्रसर हो रहे हैं इससे बचा जा सकता है यदि हम सावधानी बरतें और हम प्रकृति से खिलवाड़ ना करें। सभी संस्थाएं, सभी मंदिर जब आर्थिक आपातकाल होता है तो उसके ऊपर उसके धन पर सरकार का अधिकार हो जाता है। सहजानंद नाथ ने ऐसे लोगों को उदाहरण से समझाया जो लॉक डाऊन की अनदेखी कर लापरवाही बरत रहे हैं।
उन्होंने कहा कि एक बैल सामने से आ रहा था और उसके सामने एक व्यक्ति था एक साधु ने उसे बताया कि वह टक्कर मार देगा परंतु उस व्यक्ति ने कहा होई है वही जो राम रचि राखा जो राम ने लिख दिया वही घटित होगा। बैल ने उसे टक्कर मारी तो लोगों ने पूछा क्या आपको किसी ने आगाह नहीं किया था तो उसने कहा मेरे भाग्य में था बैल का टक्कर मारना। इससे मैं यही कहना चाहता हूं उसके भाग्य में यह भी था कि कोई आकर आपको बताएगा और आपको अपनी सावधानी रखनी है यह भी आपके भाग्य में है रही। इसलिए स्वामी सहजानंद नाथ ने सरकार से विनम्र निवेदन किया कि इस आपदा को समझें और लोगों से भी निवेदन किया कि वे सरकार और प्रशासन के आदेशों का पालन करें।

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