हिसार

डीएवी संस्था ने देशभर के अपने शैक्षणिक भवन क्वारेंटाइन वार्ड में बदलने की पेशकश की

संस्था के राष्ट्रीय प्रमुख पूनम सूरी ने 5 करोड़ रुपये भी भेंट किए

हिसार,
कोरोना वायरस के खिलाफ चल रही लड़ाई में सहयोग की भावना के साथ देश के ख्यात शिक्षण संस्थानों में शामिल डीएवी संस्था ने देश भर में स्थित अपने शैक्षणिक भवनों को क्वारेंटाइन वार्ड में बदलने की पेशकश की है। इनमें रखे जाने वाले कोरोना संक्रमण के आशंकित व्यक्तियों पर होने वाले खर्च को भी संस्था द्वारा वहन करने की इच्छा व्यक्त की गई है। डीएवी कॉलेज प्रबंधकत्र्री समिति एवं आर्य प्रादेशिक प्रतिनिधि सभा के प्रधान पूनम सूरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर यह पेशकश की है। उन्होंने समिति की ओर से 5 करोड़ रुपये की धनराशि भी प्रधानमंत्री केयर्स फंड में भिजवाई है। उल्लेखनीय है कि डीएवी संस्था द्वारा देशभर में स्कूल व कॉलेजों का संचालन किया जा रहा है और प्रत्येक जिला स्तर पर संस्था के अनेक शैक्षणिक भवन हैं। डीएवी संस्था ने अपने सभी शैक्षणिक भवनों को उन लोगों के लिए क्वारेंटाइन वार्ड के रूप में इस्तेमाल करने पेशकश की है जिनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने की आशंका होती है और जिनका अन्य लोगों से दूर रखकर उपचार करना होता है। यहां रखे जाने वाले व्यक्तियों का खर्च भी संस्था द्वारा स्वयं वहन किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में प्रधान पूनम सूरी ने भारत में कोरोना संक्रमण पर रोक लगाने के लिए केंद्रीय स्तर पर किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए देशसेवा के इस कार्य में हर कदम पर सहयोग देने का भरोसा दिलाया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व व उनकी कार्यशैली से भारत ही नहीं, विश्व भर के लोगों में भारतीय संस्कृति के प्रति आस्तिक भाव पैदा हुआ है।
संस्था के प्रधान ने कहा कि आर्य समाज ने जिस सेवा भावना व परोपकार के विचार का प्रचार किया है, वही डीएवी आंदोलन का आधार रहा है। इसके चलते डीएवी द्वारा मानवता व देश की समय-समय पर जो सेवा की गई है उसका अपना इतिहास है। अकाल हो या बाढ़, भूकंप हो या महामारी, डीएवी ने हर हाल में देश सेवा में कंधे से कंधा मिलाकर कार्य किया है। कोरोना वायरस के खिलाफ छिड़ी इस जंग में भी राष्ट्र को विजयी बनाने के लिए आज डीएवी व आर्य समाज देश के साथ है। डीएवी विश्वविद्यालय, डीएवी कॉलेजों तथा डीएवी विद्यालयों के हर कार्यकर्ता व कर्मचारियों ने कम से कम एक दिन का वेतन राष्ट्र को समर्पित करने का संकल्प किया है। कुछ ने तो इससे भी अधिक धनराशि देने का संकल्प लिया है।

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