हिसार,
कोरोना महामारी से निपटने के लिए कर्मचारियों व पेंशनरों के महंगाई भत्ते पर जून 2021 तक रोक लगाने का फैसला उचित नहीं कहा जा सकता। इसके बावजूद कर्मचारी व पेंशनर तन-मन-धन के साथ प्रदेश सरकार के साथ खड़े हैं। यह बात आज हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ के राज्य प्रधान दलबीर किरमारा ने एक बयान जारी कर कही। बयान में सरकार से अपील की है कि यदि सरकार को अपनो खर्चों में कमी लानी है तो लोकसभा व विधानसभा में बैठे सांसदों व विधायकों के खर्चों में भारी कटौती की जानी चाहिए। वहीं सांसदों और विधायकों को अपने निजी कोष से जनता की मदद के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि सांसद व विधायक निधि से योगदान देने का श्रेय लेने वाले जनप्रतिनिधियों को यह बात पता होनी चाहिए कि यह पैसा आम जनता का ही है।
दलबीर किरमारा ने कहा कि सरकार पहले तो विधायकों का मकान भत्ता 50 हजार रुपए से बढ़ा कर 1 लाख रुपए करने का फैसला कर लेती है और उसके बाद दिखावे के लिए कोरोना के नाम पर 30 प्रतिशत की कटौती का ढोंग करती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस निर्णय से आम जनता को गुमराह करने का प्रयास किया है।
राज्य प्रधान ने कहा कि एक जनप्रतिनिधि जितनी बार विधायक या सांसद बनता है उतनी ही बार उसकी पेंशन बनती है। यदि सरकार आम जनता की हितैषी है तो विधायक व सांसदों की केवल एक ही पेंशन होनी चाहिए। चाहे वह कितनी ही बार विधायक या सांसद बना हो।
किरमारा ने कहा कि सरकार को कटौती करनी है तो मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान होने वाले खर्चों में करनी चाहिए। मुख्यमंत्री के साथ दौरे के दौरान चलने वाले अधिकारियों के काफिलों सहित अन्य खर्चों में कमी करनी चाहिए। इस दौरान गाडिय़ों का प्रयोग करने की बजाय राज्य परिवहन की बसों का प्रयोग करना चाहिए।
दलबीर किरमारा ने कहा कि प्रदेश की मंडियों में किसान अपनी फसल बेचने के लिए रो रहा है तो मजदूर झोपडिय़ों में दो वक्त की रोटी के लिए रो रहा है। उन्होंने कहा कि संकट के इस समय में जहां देश व प्रदेश की जनता एकजुट होकर कोरोना से लड़ रही है। उसी प्रकार राजनैतिक दलों के विधायकों, सांसदों व अधिकारियों को भी अपनी सुख सुविधाओं में कटौती कर जनता के प्रति अपनी जिम्मेवारी का निर्वहन करना चाहिए।
राज्य प्रधान ने कहा कि सरकार को चाहिए कि जिस प्रकार से थाली व ताली बजा कर और मोमबती व दीये जला कर जनता को एकजुट होने का संदेश देने का काम किया और उसी प्रकार प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्रियों को एक दिन पूर्ण रूप से अपने खर्चों में कटौती कर आम जनता का हौंसला बढ़ाना चाहिए और खर्चों में कटौती से बचने वाले पैसे को जनता के हितों में खर्च करना चाहिए।