हिसार,
स्वैच्छिक सामाजिक संस्था सजग के प्रदेशाध्यक्ष व वास्तु हब एवं हैप्पी लाइफ काउंसिलिंग रिसर्च सेंटर के संस्थापक सत्य पाल अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से विषाणुओं व जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए हवन-यज्ञ दिवस मनाने की परम्परा आरंभ करने की मांग की है।
इस संदर्भ में अग्रवाल द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे प्रस्तावना सहित एक अनुरोध पत्र में कहा गया है कि इस समय समूचे विश्व के समक्ष विकट परिस्थिति बनी हुई है, पर इस परिस्थिति में लगे लाकडाऊन के कारण ही विश्वव्यापी हर प्रकार के प्रदूषण में आशातीत कमी आई है जो प्रदूषण की वजह से मरने से बचे लाखों लोगों की जिंदगी और पर्यावरण के लिए वरदान साबित हुआ है। प्रकृति ने वो संदेश दिया है जब लोगों को समझाया जा सकता है कि प्रदूषण की स्थिति भी किसी आपातकाल से कम नहीं है अब प्रदूषण जनित विषाणुओं,बीमारियों व संकट से बचाव के लिए व्यक्तिगत, पारिवारिक व सामूहिक हवन-यज्ञ की हमारी प्राचीन परंपरा को पुनः आरंभ करने और प्रदूषण को लेकर लोगों की समझ को विकसित किया जा सकता है। जो पर्यावरण में आये सुखद बदलाव को लाकडाऊन के बाद भी स्थिर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है और सामाजिक दूरी का ध्यान रखते हुए इस समय भी जितना सम्भव हो सके घरों में हवन करना आरंम्भ किया जाए तो कोरोनावायरस से निपटने में काफी सहायक सिद्ध हो सकता है। पत्र में प्रधानमंत्री से आग्रह किया गया है कि दुनिया को विनाश के कगार पर ले जा रहे प्रदूषण व जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करने व सर्वत्र खुशहाली प्रदान करने के लिए हवन-यज्ञ दिवस मनाने या हवन पर अन्य प्ररेणादायक कार्य योजना द्वारा मार्ग प्रशस्त कर योग दिवस की तरह पर्यावरण पर भी भारत के नाम विश्व गुरु होने का एक ओर अध्याय स्थापित करें। पत्र में कोरोना संकट पर किये जा रहे प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा गया है कि इतनी तत्परता व सतर्कता से उठाये गये व उठाए जा रहे कदमों को देखते हुए पूर्ण विश्वास है कि हम इस संकट पर जल्द विजय प्राप्त कर लेंगे।
पत्र में सत्यपाल अग्रवाल ने प्रधानमंत्री को बताया है कि वे माता-पिता द्वारा परिवार में स्थापित हवन की परम्परा को निभाते हुए पर्यावरण व खुशहाली के लिये आर्य समाज,स्वैच्छिक सामाजिक संस्था सजग, पर्यावरण बचाओ अभियान समिति सहित अन्य संगठनों से जुड़ कर हवन-यज्ञ, ध्यान, योग, स्वच्छता एवं पेड़ पौधों के प्रति लोगों को जागरूक करने के अपने छोटे से स्तर पर प्रयासरत हैं। पत्र के साथ उन्होंने हवन-यज्ञ दिवस एक अनुरोध प्रस्तावना भी प्रेषित की है।
प्रस्तावना
“यज्ञो हि श्रेष्ठतमं कर्म”
“हवन भारत की प्राचीन परंपरा द्वारा प्रदत्त एक अमूल्य उपहार है। आज के प्रदूषण युग में हवन-यज्ञ सर्वोत्कृष्ट कार्य है। हवन द्वारा ऑक्सीजन से भी ज्यादा लाभकारी एवं स्वास्थ्यवर्द्धक ओजोन गैस उत्पन्न होती है। यज्ञ वातावरण में मौजूद रोगाणुओं ( विषाणुओं ) को नष्ट करता है और प्रकृति को औषधीय तत्वों से परिपूर्ण कर रोगों का निवारण करता है, मन को प्रसन्न व प्राणवायु की वृद्धि करने वाला हवन आत्मिक , मानसिक व शारीरिक तीनों दृष्टिकोण से स्वास्थ्य वर्धक है, यह मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाला है। पेड़ पौधों व वनस्पतियों के रोपण की प्ररेणा देता है और वृद्धि में सहायक होता है। भारतीय परम्परा में हवन – यज्ञ का आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक दोनों प्रकार का महत्व है। हवन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है यह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के पर्यावरण को शुद्ध करने की हमारे ऋषियों द्वारा अनुसंधान की गई वैज्ञानिक विधि है जिसको आधुनिक विज्ञान ने भी प्रमाणित किया है। हवन आधुनिक जीवन- शैली में दिनचर्या बनकर, दुनिया को विनाश के कगार पर ले जा रहे प्रदूषण व जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है। अतः हवन के प्रति जन चेतना जागृत करने हेतू योग दिवस की तरह हवन – यज्ञ दिवस मनाने की परंपरा आरंभ करने से दूरगामी परिणाम काफ़ी सार्थक होंगे।