हिसार,
सर्व कर्मचारी संघ, हरियाणा से संबंधित पशुपालन विभाग चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी यूनियन कोरोना महामारी के चलते महंगाई भत्ता रोकने पर रोष जताया है। यूनियन के राज्य महासचिव छबीलदास मौलिया, सर्व कर्मचारी संघ राज्य संगठन कर्ता धर्मवीर सिंह फोगाट, राज्य प्रधान कृष्ण लाल सागर व राज्य वित्त सचिव देवी सिंह सहजवार ने कहा कि केंद्र सरकार ने करोना कोविड-19 की आड़ में केन्द्रीय कर्मचारियों का 18 महीने का महंगाई भत्ता रोकने का जो फरमान जारी किया है इससे कर्मचारियों में भारी रोष है। उन्होंने कहा कि इस आपातकाल में केवल सरकारी विभाग से जुड़े कर्मचारी ही अपनी जान की परवाह किए बिना कर्तव्य पर डटे हुए हैं, लेकिन सरकार कर्मचारियों का उत्साह बढ़ाने की बजाय उनका मनोबल तोडऩे का काम कर रही है। सरकार के इस फैसले से 18 महीने में प्रत्येक कर्मचारी को पांच से 20 हज़ार तक का नुकसान होगा।
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि इस समय प्रदेश के तमाम कच्चे व पक्के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को गेहूं खरीद के लिए 20 हज़ार रुपये प्रत्येक कर्मचारी को मुफ्त ब्याज ऋण उपलब्ध करवाने की जरूरत है ताकि कर्मचारी बगैर किसी देरी सस्ता व अच्छा गेहूं किसान से सरकारी रेट पर खरीद सके। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस समय कच्चे कर्मचारी को पक्का करने, एनपीएस को खत्म करने की जगह महंगाई भत्ता रोका गया है। सरकार को इस फैसले को तुरंत वापिस लेना चाहिए। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि सरकार ने आर्थिक तंगी के चलते क्लास ए व बी अधिकारी व सी कर्मचारियों के मूल वेतन से 20 व 10 प्रतिशत मार्च महीने कटौती की और डी ग्रुप कर्मचारी को इसमें शामिल न करने का नाटक किया है। इसके बावजूद भी ग्रुप डी कर्मचारियो ने स्वेच्छा से एक दिन का वेतन कोविड-19 राहत फण्ड में अपने वेतन से दिया। इसलिये सरकार को तमाम विभागों के कर्मचारियो को जो इस समय बिना किसी परवाह के इस महामारी को रोकने के लिए प्रदेश की जनता की स्वेच्छा से सेवा कर रहे हैं। उनकी भावनाओं की कद्र करते हुए सरकार को महंगाई भत्ता रोकने फरमान को वापिस लिया जाना चाहिए। फिर भी सरकार को आर्थिक तंगी है तो हर मास कर्मचारियों के वेतन से एक दिन का वेतन कोविड-19 मुख्यमंत्री राहत फण्ड में ले सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार को कर्मचारी वर्ग को आंदोलन के लिए विवश नहीं करना चाहिए।