फूल
सुमन, पुष्प, प्रसून, मंजरी
सब का मतलब होता फूल!
सबके मन को भाता फूल
कभी खिलता कभी मुरझाता
खुशबू अनेक विखराता फूल
सैकड़ों रंगों में होता फूल!
बाग-नर्सरी-उद्यान
खेत खलियान, कैसा भी हो मकान
कच्चे रास्ते या हो सडक़ों का किनारा
शैक्षणिक संस्थान, रेगिस्तान या हो शमशान
पानी का नजदीक हो स्थान
सभी जगह पैदा हो सकता फूल।
कहीं-कही माथे की शोभा बनता फूल,
कहीं बन जाता चरणों की धूल
कहीं पर सस्ता मिलता फूल
कभी-कभी अनमोल हो जाता फूल !
पूजा पाठ में चाहिए फूल
सभी देवी देवता करते इसे कबूल
जन्म,मरण, वरण में चाहिए फूल
स्वागत समारोह में बरसते फूल
जो गिर गया अपने आप नीचे
उसका ना कोई देता मोल!
मालाओं में पिरोया जाता फूल
वरमाला की शोभा होता फूल
कहीं-कहीं रगड़ खाता पैरों की
कहीं-कहीं मस्त हो, इतराता फूल!
धार्मिक, वैवाहिक, सामाजिक कार्यक्रम
सार्वजनिक समारोह, या हो कार्यक्रम सरकारी,
राजनेता ,जनता, साथ में उपस्थित हो अधिकारी
सभी की शोभा बढ़ाता फूल!
इंसान को बेरहम, बेदर्द, बेपरवाह कहता फूल
कच्चा पक्का बिना वजह
मुझे सब क्यों लेते हैं तोड़?
निकल जाए काम, कुचलते पैरों से
डस्टबिन गंदा नाला या हो गंदा जोहड़
कहीं पर भी फेंक दिया जाता मैं फूल!
पुष्कर कहे शुभ को सुंदर बनाता फूल
एकता का प्रतीक होता फूल
नाम एक, प्रयोग अनेक
अलग अलग स्वरूप धारण करता फूल
दिल को सुकून देता फूल!!
पुष्कर दत्त, 1669-ए, सैक्टर-16, हिसार
मो. 94163 38524