हिसार

नशा..सट्टा..जुआ..लूटपाट..सब होता है रेलवे ट्रैक पर

हिसार,
कानून में जिस रेल लाईन को पार करना जुर्म की श्रेणी में आता है, वहीं हिसार का रेलवे ट्रैक आजकल क्रिकेट का मैदान बना हुआ है। जैसे—जैसे सूर्य की किरणें तेज होती है ट्रैक पर क्रिकेट मैच खेलने वालों का तांता लगना शुरू हो जाता है। एक और रेलगाड़ी अपनी रफ्तार से ट्रैक पर दौड़ रही है तो दूसरी और क्रिकेट का मैच भी जारी रहता है।
यहां मैदान के नाम पर ट्रैक के बीच का रास्ता..विकेट के स्थान पर खड़ी की जाती है कुछ ईंट.. क्रिकेट खेला जाता है काम चलाऊ बैट और रबड की गेंद से .. इस गेंद को सख्त करने के लिए उस पर पेट्रोल डाल कर आग लगाई जाती है ताकि बाल जल्दी खराब न हो।

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सूत्रों के अनुसार यहां पर मैच भी आईपीएल की तर्ज पर खेले जाते हैं। जीत हार पर एक मैच पर 2 हजार से 15 हजार तक की राशि तय की जाती है। यहां खेले जाने वाले अधिकतर मैच में खिलाड़ी बराबर—बराबर राशि लगाते है, लेकिन बहुत—से मैच में एक ही व्यक्ति पैसे लगाता है। खेलने व खिलाने वाले किसी स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थी नहीं है.. और ना ही किसी खेल अकादमी के सदस्य है। आसपास के मौहल्ले के युवक अपने—अपने खिलाड़ियों को साथ लेकर यहां आते हैं। एक से पांच ओवर के इस मैच में प्रत्येक टीम में 5 से 7 खिलाडी रहते है। कौन कितने पैसे देगा यह पहले ही तय हो जाता है। दिन भर इस प्रकार का मैच रेलवे ट्रैक के बीच चलता रहता है।


चौकान्ने वाली बात तो यह है कि पिछले कई दिनों से चल रहे इस प्रकार के जुए की आरपीएफ के अधिकारियों व कर्मचारियों को कोई जानकारी नहीं है। जहां यह मैच खेले जा रहे है वहां से रेलवे प्लेटफार्म और आरपीएफ चौकी की दूरी महज कुछ गज की है।

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शाम होते ही सक्रिय हो जाते है लुटेरे
रेलवे विभाग की सम्पत्ति की चोरी ,फिश प्लेट की चोरी, रेलवे ट्रैक के आसपास पड़े सामान की चोरी आम घटना है लेकिन अब शाम ढ़लते ही यात्रियों से लुट व मारपीट भी आम बात हो गई है। घटना के शिकार हुए कुछ लोग ही जीआरपी के पास अपनी शिाकायत लेकर पंहुचते है अन्यथा लुटे पीटे लोग अपने घर जाने में ही भलाई समझते हैं। पावर हाऊस रोड के साथ—साथ बनी रेलवे की दीवार जर्जर हो चुकी है। इन टूटी दिवारों के कारण लुटेरे सामान छीन कर भाग जाते है। आसपास के लोग कई बार पुलिस प्रशासन से मिल चुके हैं, लेकिन नतीजा शून्य रहा है।

नशेडियों की सजती है महफिल
कृष्णा नगर के साथ—साथ लगता रेलवे का हिस्सा नशेडियों की शरणस्थली है। देर शाम छोटे—छोटे ग्रुप में ट्रैक के समीप नशेड़ी नशा करते है। ये लोग बाईक, कार आदि में आते है। वाहन को खड़ा करते है और यहां से नशा करके चले जाते है।
गाय और भैंसों का जमावडा
रेलवे ट्रैक कितना सुरक्षित है इस का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि ट्रैक के चारों और बेसहारा पशु घुमते नज़र आते है। कुछ लोग तो अपने पालतु पशु भी रेल ट्रैक के पास ही बांध कर चले जाते है।

गौरतलब है कि कई दुर्घटनाएं केवल रेलवे ट्रैक की सुरक्षा न होने के कारण घटी है। हिसार में भी यदि रेलवे ट्रैक की सुरक्षा न की गई तो इसका खामियाजा कभी भी रेलवे विभाग व आमजन को भुगतना उठाना पड़ सकता है।
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