हिसार

देखकर दर्द किसी का, जो आह निकल जाती है, बस इतनी सी बात, आदमी को इंसान बनाती है

हिसार,
अखिल भारतीय सेवा संघ एक ऐसा सेवा संघ है, जो सेवा कार्यों पर ही आधारित है जिसके पांच सूत्र सेवा, भावना, सेवा योजना, सेवा क्रियान्वन, सेवा आंकलन और सेवा समर्पण हैं। सेवा मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति है और सेवा ही हृदय और आत्मा को पवित्र करती है।
सेवा एक ऐसा कार्य हैं जो बताता है कि आप अंदर से कितने सुखी, समृद्ध और संतुष्ट हैं। सेवा करने से आपको इस प्रकार की संतुष्टि की अनुभूति होती है जो आपको किसी अन्य चीज से अथवा बिना सेवा से प्राप्त नहीं हो सकती। सच्ची सेवा सच्ची भावना के आधार पर ही हो सकती है। यदि आप मन में सेवा करने को लेकर या सेवा को आधार स्तंभ बना कर कुछ प्राप्त करना चाहते हैं तो यहां पर आपका मतलब सामने आ जाता है यानि आप उस सेवा का मोल लगा रहे हैं, जो कि बिल्कुल भी सही नहीं हैं। सेवा के पीछे सिर्फ श्रद्धा होनी चाहिए कि जिस भी तरह से मैं सेवा कर रहा हूँ, ये किसी के लिए किसी कष्ट को दूर कर दे। सेवा भी व्यक्ति तीन प्रकार की करता है-पहली सेवा स्वयं की करता है जिसमें उसका अपना जीवन यापन होता है। अपने जीवन की उच्चतम गुणवत्ता पर जीने की कला को स्वयं की सेवा माना जाता है और व्यक्ति स्वयं की सेवा उत्तम तरीके से जागरूकता के साथ करना चाहता है परंतु अपने लालच के वशीभूत होकर कई बार वह अपने धन की लालसा, जीवन जीने की लालसा, सम्मान की लालसा और अपने आने वाली पीढ़ी के मोहवश करता है। इस प्रकार की सेवा के लिए किसी का कोई हित नहीं होता बल्कि वे उसकी स्वयं सेवा है, चाहे वह प्रतिकूल है या अनुकूल, यह उसकी जरूरत भी है।
इसी तरह दूसरी सेवा अपनों की सेवा होती है जिसमें अपना परिवार, अपने सगे सम्बंधी की सेवा एक जिम्मेवारी के तहत होती है और वह अपनों की सेवा में इतना मग्न हो जाता है, जो उसके मोहवश होती है और इस प्रकार की सेवा में किसी को कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है बल्कि स्वयं सेवा के बाद अपनों की सेवा में संलग्न रहता है। तीसरी और महत्वपूर्ण सेवा है दूसरों की सेवा, जिसके लिए प्रत्येक व्यक्ति स्वतंत्र है कि वह अन्य की सेवा करे या न करें। अन्य की सेवा के लिए एक कदम बढ़ाया जा सकता है और बिना प्रदर्शन के जो सेवा करता है, वह ऊंचाई पर पहुंच जाता है और परमार्थ, परोपकार एवं दुखी की सहायता प्रत्येक मनुष्य का प्रधान कर्तव्य है। इसलिए कहा जाता है कि जरूरी नहीं कि हर समय लबों पर खुदा का नाम आए, वह लम्हा भी इबादत का होता है जब इंसान किसी के काम आए। अन्य की सेवा के लिए व्यक्ति किसी के चेहरे पर मुस्कान लेकर आए, किसी वृद्ध की लाठी का सहारा बन जाये, किसी रोते हुए को एक मुस्कान दे दे, यदि आप कुछ नहीं कर सकते तो किसी की मन की पीड़ा को आराम से सुन लें और आप उसकी समस्या हल कर सकें तो अवश्य करें, न कर सकें तो उसको सही रास्ता जरूर दिखाएं जोकि एक सेवा है। जिस तरह से भगवान कृष्ण ने सूर्ययज्ञ में अपने लिए जो सेवा सोची और कहा कि मैं सबकी झूठी पतलें उठा लूंगा और सफाई कर लूंगा, यह सुनकर राजा अवाक रह गए और कृष्ण ने वही किया। सेवा से बढक़र और क्या हो सकता है इसलिए हमें सदा ही अपने मन में सेवा का भाव रखना चाहिए, सेवा चाहे छोटे के प्रति हो या फिर बड़ों के प्रति, सेवा-सेवा ही होती है इसलिए इससे अच्छा सेवा का उदाहरण क्या होगा। अखिल भारतीय सेवा संघ का प्रत्येक सदस्य, सेवा सदस्य है और सेवा से ओतप्रोत होकर समाज की सेवा में संलग्न रहता है।

इन्द्र गोयल
राष्ट्रीय संयोजक एवं प्रांतीय अध्यक्ष
अखिल भारतीय सेवा संघ, हरियाणा

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