हिसार

विमुक्त घुमंतू जातियों को वंचित एस.सी. की सूची में शामिल किया जाए : अजमेर नायक

हिसार,
अखिल भारतीय डी.एन.टी./एस.टी. संषर्घ समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजमेर नायक ने कहा है कि हरियाणा सरकार द्वारा गत 15 मई को वंचित अनुसूचित जातियों से हरियाणा की (राजकीय शिक्षण संस्थानों में आरक्षण) देने बारे कानून पारित हुआ है जिसमें धानक, अधर्मी, बाल्मीकि के अलावा हरियाणा की विमुक्त घुमंतू (डी.एन.टी.) जातियों को शामिल किया गया है जिनमें बंगाली, बरार, बरवाल, बावरिया, बाजीगर, बंजारा, चानल, डागी, डरेन, डेहा, डोगरी, डूम, गगरा, गंडिला, कबीरपंथी, जुलाहा, खटीक, कोली, मरीजा, मजहबी, सिख, मेघवाल, नट, बादि, ओड़, पासी, परेना, फरेरा, सनहाल, सांसी, बेडकूट, मनेष, सपेला, सपेरा, सिकलीगर, सिरिक बंड आदि को हरियाणा की वंचित (डिप्राइवेड) अनुसूचित जाति की सूची में शामिल किया गया है लेकिन घुमंतू जातियों में अहेरिया, अहेरी, हेड़ी, हरी, थोरी, तोरी व रायसिख को वंचित अनुसूचित जाति में शामिल नहीं किया गया है। जबकि ये जातियां 2016 में ही अनुसूचित जाति में केंद्र सरकार द्वारा शामिल कर ली गई थी। मानव शास्त्रीय व समाज शास्त्रीय पंजाब विश्वविद्यालय अध्ययन रिपोर्ट (ए) के मुताबिक इन जातियों का शिक्षा सामाजिक राजनीतिक रोजगार का स्तर न के बराबर है।
अखिल भारतीय डी.एन.टी./एस.टी. संषर्घ समिति के राष्ट्ररीय संरक्षक अशोक वरतिया, उपाध्यक्ष हरभगवान, रायसिंह एडवोकेट, रमेश नायक महासचिव, बसंत सिवानी, हरियाणा प्रदेश युवा अध्यक्ष मनोज अठवाल व डा. राजकुमार बाला ने सरकार को पत्र लिखकर डी.एन.टी. की शेष जातियों को वंचित अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग की है। वंचित अनुसूचित में शेष बची विमुक्त घुमंतू जातियों को शामिल करने बारे अखिल भारतीय डी.एन.टी./एस.टी. संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजमेर नायक ने प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखा है जिसमें मांग की गई है कि जल्द से जल्द बची सभी डी.एन.टी. जातियों को वंचित (डिप्राइवेड) अनुसूचित जाति की सूची में शामिल किया ताकि इन जातियों के छात्रों को इसी शैक्षणिक वर्ष के दौरान दाखिले में लाभ मिल सके, साथ ही अजमेर नायक ने मांग की है कि विमुक्त घुमंतू जातियों के नाम बर्तनी तौर पर हरियाणा जातियों गजट नोटिफिकेशन में गलत दर्शाया गया है जिनमें मुख्य तौर पर हरियाणा में बंजारा जाति को नोटिफिकेशन में बंजारा दर्शाया गया है जोकि गलत है। गौरतलब है कि हरियाणा में इन जातियों की संख्या लगभग सताईस है और इसकी आबादी छतीस लाख है।

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