हिसार

भिण्डी की वैज्ञानिक खेती करके बनाएं आय का साधन : केपी सिंह


हिसार,
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रो. केपी सिंह ने कहा है कि वर्षा ऋतु आरंभ होने को है और इस मौसम में भिण्डी की खेती किसानों के लिए आय का साधन हो सकती है। किसान उपयुक्त वैज्ञानिक जानकारी का प्रयोग करते हुए अपने खेत से आर्थिक स्वतन्त्रता के पायदान पर अपना पहला कदम बढ़ा सकते हैं।
भिण्डी के विशेषज्ञ व डायरेक्टर फार्म के निदेशक डॉ. सुरेन्द्र धनखड़ ने बताया कि हरी सब्जियों में भिण्डी का प्रमुख स्थान है व भारत भिण्डी उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। भिण्डी मे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेटस, कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नेशियम के अतिरिक्त विटामिन ए, बी, सी तथा रेशा पर्याप्त मात्रा में मिलता है। इसमे आयोडीन की मात्रा अधिक होती है। उन्होनें बताया कि यह फसल गर्मी व बरसात दोनों मौसम में बोई जा सकती है परन्तु यह बरसात के मौसम की मुख्य फसल है व इस मौसम में पैदावार अधिक होती है।
जलवायु व मिट्टी : इसकी पैदावार के लिए लम्बे समय का गर्म व नरम वातावरण अच्छा माना जाता है तथा बीज के उगने के लिए 25 से 35 डिग्री सैल्सियस तापमान उपयुक्त होता है। 20 डिग्री सैल्सियस से कम तापमान पर बीजों का अंकुरण नहीं होता व 42 डिग्री सैल्सियस से अधिक तापमान पर इसके फूल झडऩे लगते हैं। इसके लिए चिकनी से बलुई मिट्टी जिसमें जीवांश की मात्रा अधिक हो व जल निकास उत्तम हो, अच्छी रहती है। अच्छी उपज के लिए हल्की अम्लीय दुमट मिट्टी अधिक उपयुक्त होती है। खेत को 3-4 गहरी जुताई करके मिट्टी को नरम व भुर-भुरा कर लेना चाहिए। बिजाई से 3 सप्ताह पहले गोबर की खाद खेत में जुताई करते समय डालें। बरसात कालीन फसल के लिए खेत को समान क्यारियों में बांट देना चाहिए।
भिण्डी की उन्नत किस्में : भिण्डी की उन्नत किस्मों जैसे वर्षा उपहार, हिसार उन्नत, हिसार नवीन, एच.बी.एच. 142 आदि का बीज ही बोएं। वर्षा उपहार पीलिया रोग रोधी किस्म है जो बरसात के मौसम के लिए उपयुक्त है। यह 45 दिन में फल देना आंरभ कर देती है और इसकी औसत पैदावार 35-40 क्विंटल प्रति एकड़ हैं।
हिसार उन्नत भी पीलिया रोग रोधी किस्म है जो गर्मी के मौसम के लिए उपयुक्त है। यह 47 दिन में फल देना आंरभ कर देती है और इसकी औसत पैदावार 30-40 क्विंटल प्रति एकड़ हैं।
हिसार नवीन पीलिया रोग रोधी किस्म है जो वर्षा व गर्मी के मौसम के लिए उपयुक्त है। यह 46-47 दिन में फल देना आंरभ कर देती है और इसकी औसत पैदावार 40-45 क्विंटल प्रति एकड़ हैं।
एच.बी.एच. 142 भी पीलिया रोग रोधी किस्म है जो वर्षा मौसम के लिए उपयुक्त है, जिसे गर्मी के मौसम में भी उगाया जा सकता है। यह 47-48 दिन में फल देना आंरभ कर देती है और इसकी औसत पैदावार 58 क्विंटल प्रति एकड़ हैं।
बिजाई का समय व बीज की मात्रा : उत्तरी भारत में साल में दो बार भिण्डी की बिजाई होती है पहली फरवरी से मार्च में जिसें ग्रीष्मकालीन फसल कहते हैं तथा दूसरी जून से जुलाई में जिसे वर्षाकालीन फसल कहते हैं। ग्रीष्मकालीन मौसम के लिए 16 से 18 किलोग्राम प्रति एकड़ व बरसात के 5-6 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज डालें।
बिजाई की विधि : ग्रीष्मकालीन फसल के लिए खेत में 30 सै.मी. चौड़ी डोलियां बनाएं तथा डोलियों के दोनों तरफ किनारों पर 10 सै.मी. की दूरी पर बिजाई करें। इससे पानी की बचत होती है। बरसात की फसल के लिए कतार से कतार की दूरी 45 से 60 सै.मी. तथा पौधे से पौधे का फासला 30 सै.मी. रखें। बिजाई से पहले बीज को रातभर पानी में भिगो दें और अगले दिन एक घंटा छाया में सुखा कर बिजाई करें।
खाद व उर्वरक : गोबर की गली-सड़ी खाद 10 टन प्रति एकड़ बिजाई से 3 सप्ताह पहले डालें और समान रूप से भूमि में मिला दें। औसत उपजाऊ जमीन में 40 किलोग्राम नाइट्रोजन तथा 24 किलोग्राम फास्फोरस (शुद्ध) प्रति एकड़ डालें। मिट्टी की जांच के बाद ही पोटाश डालें। एक तिहाई नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा बिजाई से पहले मिट्टी में मिला दें। नाइट्रोजन की शेष मात्रा दो भागों में एक बिजाई से लगभग तीन सप्ताह बाद व दूसरी मात्रा पौधों में फूल आने के समय डालें।
सिंचाई व निराई गोडाई : बिजाई पलेवा देकर करें। डोलियों की बिजाई पर खेत में नमी की कमी होने पर बिजाई के तुरन्त बाद सिंचाई दें और दूसरी व तीसरी सिंचाई 3-4 दिन के अंतर पर करें। ग्रीष्मकालीन मौसम में 5-6 दिन के अंतर पर व वर्षाकालीन फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। 2-3 बार निराई गोडाई करें।
भिण्डी की तुड़ाई : भिण्डी के फलों को नर्म अवस्था में रेशा बनने से पहले प्रात: या सांयकाल में तोडऩा चाहिए। ग्रीष्मकालीन फसल में 30 क्विंटल व वर्षाकालीन फसल में 40-45 क्विंटल प्रति एकड़ भिण्डी के मुलायम फलों की पैदावार प्राप्त हो जाती है। उपरोक्त वैज्ञानिक सस्य क्रियाओं को कार्यान्वित करने पर किसान भाई भिण्डी की अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

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Jeewan Aadhar Editor Desk