जल
जल ही जीवन, जल है तो कल
हर दम हर पल चाहिए जल
जल से सजता धरती का आंचल
जल से खिलते पर्वत पहाड़ वन जंगल।
जल का मुख्य स्रोत बरसात
रुष्ट हो रही प्रकृति,
कम ज्यादा होती बरसात
कम हो रहा धरती पर जल
खत्म हो रहा धरती के नीचे का जल।
नहाना-धोना, खाना-पीना
खेती-बाड़ी बाग लगाना
बाग पार्क या फुलवारी सजाना
सभी कार्यों में चाहिए जल।
रेल, बस, रेलवे स्टेशन धोना
स्कूटर, मोटर साइकिल, कार चमकाना
जोहड़-तालाब जलाशय भरना
तरणताल में भी चाहिए जल।
पशु पक्षी जानवरों को भी चाहिए जल
स्कूल कॉलेज घर अस्पताल
कोर्ट कचहरी जेल हवालात
सभी जगह उपयोग होता जल।
जल को बचाना होगा
कृषि भूमि को बंजर होने से बचाना होगा
जल संचय को अपनाना होगा
जल संसाधनों को बढ़ाना होगा।
गरीब मजदूर असहाय
सभी को जल पहुंचाना होगा,
दुनिया को जल युद्ध से बचाना होगा।
– पुष्कर दत्त,
1669-ए, सैक्टर 16-17, हिसार
मो. 9416338524