हिसार

विश्व में सबसे ज्यादा 7 क्लोन कटड़े तैयार करने वाली टीम में गंगवा गांव के किसान का बेटा भी शामिल

दुनियाभर में कीर्तिमान रचने वाली वैज्ञानिकों की टीम मे शामिल होकर डॉ. राजेश ने किया पूरे गांव का नाम रोशन : स्पीकर रणबीर गंगवा

हिसार,
सिरसा रोड स्थित केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (सीआईआरबी) के वैज्ञानिकों ने उच्च नस्ल के झोटे एम-29 के सात क्लोन कटड़े तैयार किए हैं। इसके साथ ही वर्ष 2015 में तैयार किए गए क्लोन कटड़े हिसार गौरव के सेल से एक री-क्लोन भी तैयार किया गया है।
वैज्ञानिकों की इस बड़ी उपलब्धि के बाद भारत दुनिया के सभी देशों मे सबसे अधिक संख्या में क्लोन कटड़े बनाने वाला पहला देेश बन गया है। वैज्ञानिकों की इस बड़ी उपलब्धि के बाद आज पूरा देश गौरवान्वित है। यह बात हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा ने वैज्ञानिकों की टीम को फ़ोन पर बधाई देते हुए कही। डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा ने कहा कि कीर्तिमान रचने वाली वैज्ञानिकों की इस टीम में शामिल होकर डा. राजेश ने गांव गंगवा का नाम रोशन करने का काम किया है। दुनिया भर में कीर्तिमान रचने वाली टीम के सदस्य साधारण परिवारो से हैं, ऐसे ही किसान परिवार से संबंध रखने वाले हैं डॉ. राजेश कुमार। डॉ. राजेश हिसार के गांव गंगवा के निवासी हैैं। उनके पिता मलाराम धत्तरवाल गांव में ही खेती किसानी का काम करते हैं। उन्होंने हिसार के हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (अब लाला लाजपत राय यूनिवर्सिटी ऑफ़ वेटरीनरी साइन्स) से एमवीएससी की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद सीआईआरबी ज्वाइन की, अब वो साथ ही पीएचडी की पढ़ाई भी कर रहे हैं। ग्रामीणो ने परिजनों को बधाई दी और डॉ. राजेश धतरवाल की मेहनत को सराहते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
वैज्ञानिकों की इस टीम ने पाई सफलता
डॉ. प्रेम सिंह यादव, डॉ. नरेश एल सेलोकर, डॉ. धर्मेंद्र कुमार, डॉ. राकेश शर्मा, डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. राजेश कुमार, डॉ. मोनिका सैनी और डॉ. सीमा दुआ।
गौरतलब है कि 7 कटड़ों की क्लोनिंग पर अक्तूबर 2019 से काम चल रहा था और अभी तक कटड़ों का शारीरिक विकास और स्वास्थ्य अच्छा है।
कॉरोना जैसी वैश्विक महामारी भी इन वैज्ञानिकों के हौंसलो को डगमगा नहीं सकी, इसके सफ़ल परिणाम जब सबके सामने आए तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर और हरियाणा विधानसभा के डीप्टी स्पीकर ने टीम को फ़ोन पर बधाई दी।
हर रोज गंगवा से हिसार साइकिल पर आकर की पढ़ाई
एक किसान परिवार से होने के बावजूद डॉ. राजेश के करियर में कई रुकावटें आईं। मगर उन्होंने हार नहीं मानी। चिकित्सक बनने के लिए वह बताते हैं कि हर रोज साइकिल के जरिए गांव से हिसार में पढऩे आया करते थे। डॉ. राजेश ने गवर्नमेन्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल गंगवा से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इसके पहले लीडिंग सीनियर सेकेंडरी स्कूल आजाद नगर से 10वीं की परीक्षा पास की थी। इसके साथ ही कई बार जीवन में दिक्कते आई मगर परिवार की संयुक्त शक्ति और संघर्ष ने भी डॉ. राजेश को यहां तक पहुंचाने में काफी मदद की। डॉ. राजेश को देखकर उनके परिवार के दूसरे भाई व बहन भी इस फील्ड में पहुंच गए हैं।
अब पहली बार भैंस का भी बनेगा क्लोन
केंद्र के निदेशक डॉ. सतबीर सिंह दहिया ने बताया कि झोटों के क्लोन के बाद अब संस्थान भैंस के क्लोन के लिए काम कर रहा है। संभवत हमारा पहला ऐसा संस्थान होगा, जो क्लोन से कटड़ी भी तैयार करेगा। इसके लिए उच्च नस्ल की भैंसों के सेल फ्रीज किए गए हैं। जल्द ही उनकी क्लोन बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी और संभवत इसी वर्ष हम सफलता हासिल कर सकेंगे।

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