फोर्टिस हॉस्पिटल ने हृदय स्वास्थ्य के महत्व पर जागरुकता बढ़ाई
बिना परामर्श के पेनकिलर दवाइयों का सेवन गंभीर हार्ट अटैक का कारण बन सकता
हिसार,
हृदय रोगों के शुरुआती इलाज के फ़ायदों के महत्व के बारे जागरुकता बढ़ाने के उद्देश्य से फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफएमआरआई), गुरुग्राम ने जागरूकता अभियान चलाया है। इसके तहत वरिष्ठ चिकित्सक एफएमआरआई के कार्डियो थोरेसिस और वस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) के निदेशक और प्रमुख, डॉक्टर उद्गीथ धीर ने विश्व हृदय दिवस 2020 के अवसर पर, एफएमआरआई ने हरियाणा से 2 गंभीर हृदय रोगियों को प्रस्तुत किया जिनका बाईपास सर्जरी की मदद से सफलतापूर्वक इलाज किया गया था।
डा. धीर ने बताया कि लगभग 72 वर्षीय रिटायर्ड किसान रामनारायण को गंभीर दिल का दौरा पड़ा था। जिस वक्त उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था तब उनका हृदय केवल 35 प्रतिशत ही काम कर रहा था, जो 55 प्रतिशत के सामान्य स्तर से बहुत कम था। गहन जांच से पता चला कि मरीज भले ही धूम्रपान करता था लेकिन वह हर दिन 20 किलोमीटर साइकिल चलाने के साथ एक सक्रिय जीवनशैली जीता था। लेकिन खेतों में काम करने के कारण उसे जब भी दर्द होता था तो वह बिना डॉक्टर के परामर्श के पेनकिलर दवाइयों का सेवन कर लेता था। यही गलती उसकी वर्तमान स्थिति का कारण बन गई। दूसरी मरीज 44 वर्षीय महिला है, जो 5 महीनों तक अपने सीने के दर्द को नज़रअंदाज़ करती रही। यह दर्द सीने से दाएं हाथ तक पहुंच जाता था और उसे सांस लेने में भी मुश्किल होती थी। लेकिन जब मरीज का दर्द असहनीय हो गया तो वह हिसार में एंजियोग्राफी के लिए पहुंची। रिपोर्ट से पता चला कि महिला की 3 मुख्य धमनियों में से 2 धमनियां 100% ब्लॉक हो चुकी थीं। गंभीर हालत को देखते हुए मरीज को सर्जरी के लिए तुरंत एफएमआरआई में शिफ्ट कर दिया गया। दोनों मरीजों की सफल बाइपास सर्जरी की गई और बेहतर परिणामों के लिए शुरुआती इलाज के महत्व के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिए दोनों को प्रेस कॉन्फ़्रेंस में भी उपस्थित किया गया।
डॉक्टर उद्गीथ धीर ने बताया कि 72 वर्षीय श्री राम नारायण के फेफड़े धूम्रपान के कारण कमज़ोर पड़ गए थे और जुलाई में उन्हें गंभीर हार्ट अटैक आया। इस दौरान उनका हृदय केवल 35% ही काम कर रहा था। वह अक्सर पेनकिलर दवाइयों का सेवन करता था। शायद यही वजह है कि खेतों में एक सक्रीय जीवनशैली के बावजूद उसकी वर्तमान स्थिति ऐसी है। जांच से पता चला कि मरीज लेफ्ट मेन कोरोनरी आर्टरी डिजीज़ (एलएमसीए) से ग्रस्त था। मरीज को तुरंत इंमरजेंसी में शिफ्ट किया गया जहां उसकी बाईपास सर्जरी की गई। सर्जरी की मदद से तीनों धमनियों के ब्लॉकेज को खोल दिया गया। उसके साथ ही हार्ट अटैक के कारण मरीज के बाएं आर्ट्रियल अपेंडेज में खून के थक्के का पता चला। चैम्बर को साफ किया गया जिससे थक्का शरीर के अन्य हिस्सों तक न पहुंच पाएं। तत्काल हस्तक्षेप और समय पर सर्जरी की मदद से ही मरीज की जान बचाना संभव हो सका।
हृदय रोगों के लक्षणों की पहचान, सही निदान और समय पर इलाज की मदद से हृदय रोगों को गंभीर होने से रोका जा सकता है। कोरोनरी आर्टरी डिजीज़ को नियंत्रण में करना है तो पहले उसके जोखिम कारकों को नियंत्रण में करना होगा। आप जितनी जल्दी डॉक्टर से परामर्श लेते हैं, आपके इलाज के परिणाम भी उतने ही बेहतर होते हैं। यह प्रक्रिया हृदय की कार्य क्षमता में सुधार कर के हृदय रोगों के कारण मृत्यु के खतरे को कम करती है। जहां समय पर सर्जरी जिंदगी बचा सकती है, वहीं लक्षणों को अनदेखी करना जिंदगी पर भारी पड़ सकता है।
डॉक्टर धीर ने एक अन्य जानकारी में बताया कि डायबिटीज से ग्रस्त 44 वर्षीय सुश्री अनिता रानी का मामला भी कुछ ऐसा ही था। उन्हें सीने में दर्द था लेकिन गलत निदान के कारण वे उसे लगभग 5 महीनों तक अनदेखी करती रहीं। कई मामलों में गलत निदान मरीज को मौत के मुंह में डाल सकता है। हालांकि, उन्हें 5 महीनों के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था लेकिन बाइपास सर्जरी ने न सिर्फ उनकी जान बचाई बल्कि अब वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं और एक सामान्य जीवन व्यतीत कर रही हैं।