नशा
शारीरिक क्षमता कम करता नशा,
बौद्धिक विकास खत्म करता नशा।
जीवन करता बर्बाद नशा,
नहीं होने देता आबाद नशा।
सामाजिक पतन करता,
आर्थिक हनन करता नशा।
पथ भ्रमित करता नशा,
मुसीबतें पैदा करता नशा।
स्वाभिमान घटाता नशा,
अभिमान मिटाता नशा।
‘पुष्कर’ कहे नशे से होता वाद विवाद,
नशा करवाता झगड़ा फसाद।
इंसान की दुर्दशा करता नशा,
कभी नहीं करना चाहिए नशा।
पुष्कर दत्त,
1669-ए, सैक्टर 16-17, हिसार
मो. 9416338524