किसान आंदोलन : सांप के मुंह में छछूंदर वाली बनी जजपा की हालत
दुष्यंत का भाजपा की गोद में बैठना बन रहा जनता में उनकी आलोचना का कारण
हिसार, (राजेश्वर बैनीवाल)।
देशभर में चल रहे किसान आंदोलन के दौरान राजनीतिक सरगर्मियां भी जोरों पर हैं। सत्तारूढ़ भाजपा जहां किसान आंदोलन के पीछे विपक्षी की साजिश सहित अनेक आरोप जड़ रही है वहीं कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल सरकार पर किसानों की बातें न सुनने का आरोप सरकार पर लगा रही है। इस सबके बीच प्रदेश की भाजपा सरकार में सहयोगी जन नायक जनता पार्टी की हालत सांप के मुंह में छछूंदर वाली होकर रह गई है, जो न निगलते बन रहा है और न ही उगलते बन रहा है। कहने को तो जजपा सरकार की सहयोगी है लेकिन भाजपा हर स्तर पर उसे नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। साथ ही जजपा के असंतुष्ट विधायक भी पार्टी की परेशानियां बढ़ाने में लगे हैं।
जन नायक जनता पार्टी एक वर्ष से प्रदेश की सत्ता में भागीदार है और इस दौरान उसे अनेक बार सरकार के मुख्य घटक भाजपा के हाथों शर्मसार होना पड़ा है। यह अलग बात है कि जजपा इसे वैचारिक मतभेद बताकर पल्ला झाड़ लेती है। कुछ दिन पहले प्रदेश में किसानों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में जजपा ने मुंह खोला और युवा नेता दिग्विजय चौटाला ने यहां तक कह दिया कि ये लाठियां किसानों पर नहीं बल्कि हमारे शरीर पर पड़ी है। ऐसा कहते हुए जजपा नेताओं ने जब लाठीचार्ज का विरोध किया तो राज्य के गृहमंत्री अनिल विज एक लाईन में दिग्विजय चौटाला की बात काट दी कि प्रदेश में कोई लाठीचार्ज नहीं हुआ। तीन दिन पूर्व भी हरियाणा में किसानों पर दर्ज हुए मुकदमों को खारिज करवाने के लिए दिग्विजय चौटाला ने गृह मंत्री अनिल विज से मुलाकात की है और विज ने कार्रवाई का आश्वासन भी दिया है लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल पहले ही कह चुके हैं कि आंदोलन में हरियाणा के किसान शामिल ही नहीं है।
विधायक बढ़ा रहे जजपा की परेशानी
जजपा के कई विधायक इन दिनोें किसान आंदोलन के समर्थन में व सरकार के खिलाफ बोलकर न केवल गठबंधन सरकार, बल्कि अपनी ही पार्टी की परेशानी बढ़ा रहे हैं। सरकार बनने के कुछ समय बाद नारनौंद के विधायक रामकुमार गौतम ने खुले रूप से उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पर निशाना साधना शुरू कर दिया था। कुछ समय बीता था कि बरवाला के विधायक जोगीराम सिहाग ने भी तेवर दिखाने शुरू कर दिए। उन्होंने आंदोलनकारी पीटीआई अध्यापकों व किसानों के आंदोलन में जाकर उनका समर्थन शुरू कर दिया। यही नहीं, विधायक जोगीराम सिहाग ने सरकार की ओर से दी गई चेयरमैनी भी ठुकरा दी और कहा कि वे किसान पहले हैं और विधायक बाद में, पहले सरकार किसानों की मांगे माने। इसके साथ ही टोहाना के विधायक देवेन्द्र बबली भी अपने गर्म तेवर दिखा चुके हैं। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला को 50 हजार से अधिक मतों से हराने वाले देवेन्द्र बबली को कोई मंत्रीपद या चेयरमैनी नसीब नहीं हुई है वहीं चुनाव हारने वाले सुभाष बराला को सरकार ने चेयरमैनी से नवाज दिया है। यह भी बताया जा रहा है कि जजपा के नरवाना से विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा ने भी किसानों को समर्थन देने का ऐेलान किया है। हालांकि उन्होंने पार्टी के खिलाफ कुछ नहीं बोला लेकिन कहा कि वे दिल्ली जाकर किसानों का समर्थन करेंगे। इसके अलावा जुलाना व शाहबाद के विधायक भी किसान आंदोलन का समर्थन कर चुके हैं।
उप मुख्यमंत्री दुष्यंत को निशाने पर ले रही जनता
केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानून व इसके बाद उपजी स्थिति के दौरान जहां केन्द्र व प्रदेश की भाजपा सरकार जनता, खासकर किसानों के निशाने पर है वहीं उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के प्रति भी जनता में कम रोष नहीं है। दुष्यंत के प्रति जनता के रोष का प्रमुख कारण उनका किसान बिलों के समर्थन में बोलना माना जा रहा है। जनता का कहना है कि इस समय देश का किसान आंदोलनरत है, दुष्यंत के प्रदेश हरियाणा का किसान भी इसमें शामिल है, प्रदेश के किसानों पर पोर्टल व्यवस्था थोपना, एमएसपी पर फसलों की खरीद न होना, खरीद पूरा समय न चलना, समय पर फसलों की पेमेंट न आने आदि के कारण किसान परेशान रहे लेकिन दुष्यंत चौटाला अपनी कुर्सी से चिपके रहे और किसानों से हो रही नाइंसाफी को देखते रहे। दुष्यंत के प्रति जनता के रोष का एक अन्य कारण यह भी माना जा रहा है कि जनता ने भाजपा व कांग्रेस के खिलाफ दुष्यंत की पार्टी को वोट दिया लेकिन चुनाव के बाद वे भाजपा की गोद में ही जाकर बैठ गए। यदि ऐसा ही करना था तो फिर चुनाव में भाजपा के खिलाफ वोट क्यों मांगा।
चौ. देवीलाल की नीतियां भूलने के लगने लगे आरोप
हालांकि अपने गठन के साथ ही जजपा पूर्व उप प्रधानमंत्री चौ. देवीलाल की नीतियों पर चलने का दावा करती रही है जनता में जजपा का यह मत संशय पैदा करने लगा है। जनता में बात उठने लगी है कि चौ. देवीलाल जो किसानों व आम जनता के मुद्दे पर कभी राजनीति या पद का लालच नहीं करते थे और बड़े से बड़ा पद त्यागने में पल भर की देरी नहीं करते थे, आज उनके पड़पौत्र सत्ता की कुर्सी से चिपके हुए हैं और देश—प्रदेश का किसान आंदोलन करके अपनी जमीन व किसानी बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है। ऐसे में जजपा का सत्ता में भागीदार बना रहना न केवल जनता को बल्कि चौ. देवीलाल के उन अनुयायियों को अखर रहा है जो उनकी नीतियों का चोला पहनकर परिदृश्य में आई जजपा के साथ आए थे।