हरियाणा हिसार

स्कूली बच्चों की हेल्थ चेकअप रिपोर्ट हरियाणा सरकार का मूर्खतापूर्ण निर्णय

आदमपुर,
हरियाणा सरकार ने एक बार फिर से 10वीं और 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों के स्कूल खोल दिए है। लेकिन पहले दिन स्कूलों में बच्चें न के बराबर ही गए। इसका मुख्य कारण प्रदेश सरकार द्वारा विद्याथियों को हेल्थ चेकअप रिपोर्ट लेकर आना जरुरी करना बताया जा रहा है। सरकार के इस आदेश के चलते अभिभावक बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं।

दड़ौली निवासी सुभाष का कहना है कि बच्चों को स्कूल भेजने से पहले अस्पताल ले जाकर टेस्ट करवाना जरुरी कर दिया है। वे फिलहाल कपास बेचने के लिए मंडी में आए हुए है। ऐसे में जबतक कपास नहीं बिकती वे बच्चें को लेकर अस्पताल नहीं जा सकते। उन्होंने कहा सरकार का यह निर्णय मूर्खतापूर्ण है। आज हम बच्चें का टेस्ट करवा देते है यदि टेस्ट के बाद वह बिमार हो जाता है तो इसकी जवाबदेही किसकी है। सरकार, डाक्टर या स्कूल इसकी जवाबदेही तय नहीं करते तो स्वास्थ बच्चों का टेस्ट करवाना समय की बर्वादी के अलावा कुछ नहीं है।

शिव कॉलोनी निवासी राजेंद्र ने कहा कि आज कोरोना संक्रमण काल में डाक्टरों के पास ऐसे ही समय का अभाव है। ऐसे में बच्चों का हेल्थ चेकअप रिपोर्ट बनाना बिना मतलब के डाक्टरों पर और बोझ डालना है। सरकार का यह निर्णय किसी भी दृष्टि से तर्कसंगत नहीं है। यह केवल अभिभावकों, विद्यार्थियों, डा​क्टरों और स्कूल संचालकों को तंग करने मात्र का निर्णय है। उन्होंने कहा कि जब स्कूलों में प्रवेश के समय ही विद्या​र्थी के तापमान की जांच होती है तो अलग से हेल्थ चेकअप रिपोर्ट का कोई कारण नहीं बचता।

मैन बाजार निवासी मोहित, महेंद्र कुमार, शिव कुमार, भीष्म शर्मा का कहना है कि जब नेता लोगों की बैठक में जाते है तो क्या बैठक में आने वाले लोगों का हेल्थ चेकअप रिपोर्ट तैयार करवाते है। रोडवेज बसों में बैठने से यात्रियों की हेल्थ चेकअप रिपोर्ट जांच की जाती है क्या। फिर स्कूली विद्यार्थियों को तंग करने का कोई औचित्य नहीं है। यह निर्णय सरकार में बैठे लोगों की मूर्खता के अलावा कुछ नहीं है।

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