एचएयू के होम साइंस कॉलेज की ओर से ‘महिला सशक्तिकरण एवं लिंग संवेदीकरण’ विषय पर गांव बुड़ाक में कार्यक्र्रम आयोजित
हिसार,
माता-पिता अपने बेटा व बेटी में कोई फर्क न समझें बल्कि बल्कि उन्हें आगे बढऩे के सम्मान अवसर प्रदान करें। लडक़ा व लडक़ी से उन्हेें समान अपेक्षाएं रखते हुए बच्चों को एक-दूसरे का सम्मान करना भी सिखाएं।
यह संदेश हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान महाविद्यालय की छात्राओं ने एक नुक्कड़ नाटक के माध्यम से दिया। कार्यक्रम का आयोजन जिले के गांव बुड़ाक में महाविद्यालय की ओर से ‘महिला सशक्तिकरण एवं लिंग संवेदीकरण’ लिंग भेद मिटाने की ओर एक कदम विषय के तहत किया गया। कार्यक्रम की संयोजक डॉ. किरण सिंह ने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समाज में लडक़े व लड़कियों में समझे जाने वाले भेदभाद के प्रति लोगों को जागरूक करना है। यह कार्यक्रम परियोजना प्रभारी डॉ. कृष्णा दूहन की देखरेख में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली से फंडिड नेशनल एग्रीकल्चरल साइंस फंड (एनएएसएफ) के तहत किया गया। उन्होंने बताया कि एक सशक्त समाज के लिए लिंग समानता बहुत ही जरूरी है। समानता एक सुंदर और सुरक्षित समाज की वो नींव है जिस पर विकासरूपी इमारत बनाई जा सकती है। डॉ. पूनम मलिक ने बताया कि सरकार ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने को अपनी प्राथमिकता बनाया है। साथ ही उनकी तस्करी, घरेलू हिंसा तथा यौन शोषण रोकने के लिए विशेष उपाय किए हैं। नीतिगत कार्यक्रमों में लैंगिकता को प्रस्तावित और एकीकृत करने के लिए प्रयास भी किए गए हैं। बालिकाओं का संरक्षण और सशक्तीकरण करने वाले अभियान ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की शुरुआत की गई, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर संचालित किया जा रहा है।
घर पर ही बच्चों के लिए शैक्षणिक सामग्री तैयार करने की दी जानकारी
कार्यक्रम में डॉ. पूनम राठी ने घर पर ही बच्चों को पढ़ाने के लिए शैक्षणिक सामग्री तैयार करने के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि महिलाएं अपने घर पर ही शैक्षणिक सामग्री को बनाकर बचत कर सकती हैं और बच्चों को पढ़ा भी सकती हैं। इस दौरान ग्रामीणों से रूबरू होते हुए लडका-लडकी में भेदभाव न करने व उन्हें आगे बढऩे के लिए समान अवसर प्रदान करने के बारे में भी जागरूक किया गया। उन्होंने कहा कि महिलाएं एक हिंसा मुक्त परिवेश में सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें, इसके लिए उन्हें सहयोग देने के साथ-साथ उनका आर्थिक सशक्तीकरण भी जरूरी है। उन्होंने महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य व उनको प्रभावित करने वाले कारकों पर भी प्रकाश डाला। वक्ताओं ने कहा कि लिंग संवेदीकरण के लिए जो नीतियां बनाई जाती हैं उनको जमीनी स्तर पर शोध करके ही लागू करना चाहिए। इसके लिए महिलाओं व पुरूषों के साथ-साथ सभी आयुवर्ग के लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए। कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों को मास्क का वितरण भी किया गया। डॉ. निगम ने सभी प्रतिभागियों व ग्रामीणों का धन्यवाद किया।