फतेहाबाद,
ध्यान और योग के द्वारा मनुष्य अपने मन की चेतना में गहराई प्राप्त करता है। ध्यान करने से आध्यात्मिक संतुष्टि और शांति मिलती है। यह बात पंतजलि योगपीठ हरिद्वार के योगाचार्य डॉ. मदन गोपाल आर्य ने हरियाणा योग परिषद् (आयुष विभाग) के तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती के संदर्भ में आयोजित पांच दिवसीय ध्यान एवं योग साधना शिविर के प्रथम दिन ध्यान साधना का अभ्यास करवाते हुए कहीं।
उन्होंने कहा कि ध्यान एक अभ्यास है, जिससे एक व्यक्ति एक तकनीक का उपयोग करता है और किसी विशेष वस्तु, विचार, गतिविधि पर ध्यान केंद्रित करता है। ध्यान मानसिक रूप से स्पष्ट और भावनात्मक रूप से शांत और स्थिर स्थिति को प्राप्त करना है। ध्यान से आंतरिक ऊर्जा बढ़ती है, सकारात्मक विचार, प्रेम, धैर्य, उदारता, क्षमा, करुणा जैसे गुणों का विकास होता जाता है। भारतीय संस्कृति में ध्यान शुरू से ही लोकप्रिय रहा है। ध्यान अशांत मन को शांत करता है तथा नकारात्मक विचारों को दूर करता है और सकारात्मक विचार व्यक्ति के मस्तिष्क में आते हैं। इसके साथ-साथ ध्यान करने से व्यक्ति का शरीर स्वस्थ और निरोगी बनता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। रक्तचाप में कमी आती है। व्यक्ति का तनाव कम होता है, स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। रचनात्मक कार्य करने वालों के लिए ध्यान करना बेहद जरूरी है। इससे उन्हें नई रचनात्मक शक्ति मिलती है। चुस्ती फुर्ती मिलती है। ध्यान करने से व्यक्ति की सहनशीलता बढ़ती है।
आर्य ने कहा कि ध्यान से मन, आत्मा और शरीर का शुद्धिकरण होता है। जिस प्रकार से मैला हो जाने पर कपड़ों को साफ किया जाता है, उसी प्रकार ध्यान हमारे नकारात्मक विचारों को दूर भगाता है और हमारा मन आत्मा और शरीर को शुद्ध बनाता है। इसे करने से हमारा मस्तिष्क पहले से अधिक तेजी से सकारात्मक दिशा में काम करता है। ध्यान का कोई धर्म नहीं है हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई किसी भी धर्म के लोग इसे कर सकते हैं। यह संपूर्ण मनुष्य जाति के लिए है। इसे करने से व्यक्ति ईश्वर के करीब आता है। ध्यान करने से छात्रों को विशेष रूप से लाभ होता है। जो छात्र प्रतिदिन ध्यान करते हैं उनका आत्मविश्वास बढ़ता है, पढ़ाई में मन लगता है, याददाश्त बढ़ती होती है, पढ़ा हुआ याद रहता है। उनका ध्यान यहां वहां नहीं भटकता है। छात्र अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। उनका स्वभाव अच्छा रहता है। ध्यान जीवन में उत्साह लाता। उत्सुकता जीवन के लिए आवश्यक तत्व है। इसके साथ साथ गीता के श्लोकों का उच्चारण व प्राणायाम भी करवाया गया।
इस अवसर पर प्राचार्य सुभाषचन्द्र भाम्भू, प्रवक्ता श्रवण सिहाग, रमेश राठौर, रविकरण, कृष्ण कुमार भदरेचा, सोनिया रानी, सोनू कुमारी, भतेरी देवी, कालू राम मांडण, श्रवण कुमार, सुभाष बैनिवाल, मुख्य शिक्षक ओमप्रकाश, कृष्ण कुमार हुड्डा, अशोक कुमार, वकील कुमार, सुरेन्द्र लोयल, पूर्णमल, सुनील कुमार, विरेन्द्र तंवर, सुन्दर लाल, सचिन कुमार, संटी कुमार, गुड्डी देवी, कृष्णा देवी व धन्नी देवी सहित अनेक स्टाफ सदस्य मौजूद रहे।