हिसार

दिल्ली की घटना निंदनीय, लेकिन इसके लिए केवल किसानों को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं : किरमारा

कहा, सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं करना चाहती

हिसार,
किसानों की ट्रेक्टर परेड के दौरान दिल्ली में 26 जनवरी को हुई घटना बहुत ही निंदनीय है, लेकिन इस घटना के लिए अकेले किसानों या किसान नेताओं को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है।
यह बात हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ के राज्य प्रधान दलबीर किरमारा ने एक बयान में कही। उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए किसान पिछले दो माह से शांतिपूर्वक आंदोलन चला रहे थे। केंद्र सरकार को चाहिए था कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर प्रधानमंत्री लालकिले से तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा करते, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। सरकार कहती है कि ये तीनों कानून किसानों के हित में हैं, लेकिन किसान इन कानूनों को अपने हितों के खिलाफ बता रहे हैं। जब किसान इन कानूनों को नहीं चाहते तो केंद्र सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है कि सरकार इन तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं करना चाहती।
राज्य प्रधान दलबीर किरमारा ने कहा कि भाजपा ने चुनाव में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने का वायदा किया था ना कि कृषि कानून लागू करने का। उन्होंने कहा कि सरकार व दिल्ली पुलिस को यह जानकारी नहीं थी कि लाखों की संख्या में पूरे देश से किसान ट्रेक्टर सहित दिल्ली बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसान नेताओं ने भी कहा था कि पूरी परेड होने में भी 72 घंटे का समय लग जाएगा। इसके बावजूद सरकार की सुरक्षा एजेंसियां क्या कर रही थी। सुरक्षा एजेंसियोंं ने भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किस कारण से नहीं किए। इसके पीछे देश की गंदी राजनीति काफी हद तक जिम्मेदार है।
राज्य प्रधान दलबीर किरमारा ने कहा कि जिसके हाथ में सत्ता आ जाती है उसे देश की आम जनता के हितों से कोई लेना-देना नहीं होता। वह केवल पूंजीपतियों के हित साधने का काम करता है और सार्वजनिक संपतियों को बेचने को लेकर मनमाने फैसले लेता है। इसी का परिणाम है कि आज रोडवेज, बिजली, बीएसएनएल, रेलवे व हवाई अड्डे जैसे विभागों का निजीकरण उनको निजी हाथों में सौंप कर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। ऐसे में क्या कर्मचारी, किसान, मजदूर, युवा व महिला जनसंगठन आंदोलन कर इनके खिलाफ आवाज नहीं उठाएं। ऐसे में आंदोलन के लिए सबसे अधिक जिम्मेवारी सरकार की बनती है, जिसकी नीतियों के कारण आंदोलन हो रहे हैं।
राज्य प्रधान दलबीर किरमारा ने केंद्र व प्रदेश सरकार से अपील की है कि आम जनता के हित में तीनों कृषि कानूनों को रद्द किया जाए तथा आम जनता से जुड़े विभागों का निजीकरण बंद किया जाए। उन्होंने किसानों से भी अपील की है कि वो आंदोलन को शांतिपूर्वक तरीके से चलाएं ताकि किसी भी प्रकार की जान-माल की हानि ना हो और सार्वजनिक व निजी संपति का नुकसान न हो। उन्होंने 26 जनवरी की घटना की निष्पक्ष जांच करवाने की मांग की, ताकि इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्यवाही हो।

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