हिसार

इधर-उधर फेंके गए तिरंग झंडों को राजेश हिन्दुस्तानी ने माथे से लगाकर उठाया

हाथ में तिरंगा उठाने से पहले उसके मान-सम्मान का रखें पूरा ख्याल : राजेश हिन्दुस्तानी

8 वर्ष दो महीने 10 दिन से हाथ में तिरंगा थामें हैं राजेश हिन्दुस्तानी

हिसार,
जागो मानव-बनो इंसान के अध्यक्ष रामपुरा मोहल्ला हिसार निवासी व सामाजिक कार्यकर्ता गंगापुत्र राजेश हिंदुस्तानी ने गणतंत्र दिवस के मौके पर लोगों द्वारा हाथ में तिरंगा झंडा उठाने के बाद इधर-उधर फेंके गए तिरंगों को ससम्मान उठाकर उन्हें माथे से लगाया। इसके साथ ही राजेश हिन्दुस्तानी से लोगों को प्रार्थना की कि वे तिरंगे झंडे को मनोरंजन के लिए हाथ में न उठाएं बल्कि इसकी मर्यादा और मान-सम्मान का पूरा ख्याल रखें। उन्होंने कहा कि तिरंगा हमारे देश की आन-बान-शान है जब वे इसे नीचे पैरों में गिरा देखते हैं तो उन्हें बहुत तकलीफ होती है। राजेश हिन्दुस्तानी ने ऑटो चालकों के साथ गुजरी महल में गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराया वहीं महावीर कालोनी सहित गणतंत्र दिवस के अन्य कई कार्यक्रमों में वे शामिल हुए।
हिन्दुस्तानी ने बताया कि वे हर बार स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस पर या अन्य कहीं भी वे इधर-उधर डाले गए तिरंगे झंडों को उठाते हैं। लोगों से अपील करने व समझाने के बाद अब इसमें सुधार आया है। उन्होंने बताया कि वे स्वयं पिछले 8 वर्ष दो महीने 9 दिन 2992 दिनों से राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा हाथ में रोजाना करीब 15, 18, 20 घंटे उठाते हैं लेकिन उन्होंने आज तक तिरंगे झंडे की मर्यादा व सम्मान पर आंच नहीं आने दी। इसके साथ ही राजेश हिन्दुस्तानी द्वारा राष्ट्र सेवा, जनहित व जनसेवा के कार्य भी जारी हैं और वे लोगों को निरंतर राष्ट्रभक्ति की भावना व जोश भरते रहते हैं। उन्होंने बताया कि वैसे तो पहले भी कई सालों से व अन्ना आंदोलन से जुडक़र तिरंगा रोजाना उनके हाथ में रहा पर अन्ना व रामदेव के 2012 मे आंदोलन विफल होने पर देश जागृति के लिए 19 नवंबर 2012 से देशभक्तों व शहीदों के सम्मान व उनके सपने को पूरा करने लोगों में राष्ट्र भक्ति की भावना पैदा करने के लिए हाथ में उठाया था तब से वे रोजाना हाथ में तिरंगा झंडा लेकर घर से निकलते हैं व करीब 15, 18, 20 घंटे तिरंगा उनके हाथ में रहता है। ज्यादा दूरी के सफर व ट्रेनों व बसों में भी लोगों को देश भक्ति प्रेरणा देते हुए उनके सवालों के जवाब और राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चाएं करते 24-24 घंटे भी उनके हाथ में तिरंगा रहा है। देश के 7 राज्यों के कई शहरों, गांवों के लाखों, करोड़ों लोगों को जय हिंद, वंदे मातरम, भारत माता की जय, इंकलाब जिंदाबाद, सत्यमेव जयते के नारे बुलवाकर देशभक्ति का अर्थ समझाते लोगों को निजी स्वार्थों की बजाय कुछ समय देश और समाज के लिए देने का आग्रह भी करते हैं ताकि शहीदों के सपने साकार हों। उन्होंने कहा कि कुछ लोग भले ही किसी विशेष दिन तिरंगा उठाकर देशभक्त होने का दिखावा करते हैं लेकिन तिरंगे के सिद्धांतों, मूल्यों को अपने जीवन में ढालना और उनको अमलीजामा पहनाकर अपना तन, मन, धन देश को समर्पित करना बेहद कठिन व दुष्कर कार्य है। अच्छी बात है कि तिरंगा उठाएं पर उठाकर जाति व धर्मों से ऊपर उठकर समाज हित के लिए कुछ करें तभी तिरंगा उठाने की सार्थकता है अन्यथा 15 अगस्त, 26 जनवरी को तो अधिकारी, नेता व अन्य रस्म अदायगी करके तिरंगे को भूल जाते हैं और पीडि़तों, शोषितों, वंचितों के लिए संघर्ष करना तो दूर उनको न्याय, इंसाफ तक नहीं मिलता।
राजेश हिन्दुस्तानी ने तिरंगे के सिद्धांतों व मूल्यों को अपने जीवन में पूरी तरह आत्मसात किया है कि वे अपना सुख-चैन, भूख-प्यास व शरीर की परवाह किए बगैर तन, मन, धन देश को समर्पण की तर्ज पर पीडि़तों और हर वर्ग के लोगों की उम्मीद व आवाज बनकर अपना पूरा समय देश व समाज हित को देते हैं। रास्ते में जाते हुए लोग उन्हें रोककर उन्हें अपनी समस्याएं बताते हैं तो वे उनकी मदद करते हैं और प्रशासन व सरकार के समक्ष उनकी समस्या उठाकर उन्हें न्याय दिलाते हैं। लाखों लोगों के बीच बस स्टैण्ड, रेलवे स्टेशन व अन्य स्थानों पर तिरंगा लेकर निकलना बेमिसाल कार्य है। लोग उन्हें पागल, सनकी, बेवकूफ, मूर्ख तो कह ही देते हैं कई गाली देते हैं और उनसे झगड़ा तक कर लेते हैं लेकिन वे राष्ट्र प्रेम की भावना लोगों में पैदा करने के लिए हर दुख सहते हुए राष्ट्र जागृति मिशन जारी रखे हुए हैं। शहीदों को याद करने की मुहिम के साथ उन्होंने कई असंभव लगने वाले जनहित के कार्य किए जिनसे निराश लोगों में एक नई ऊर्जा उन्हें देखकर भर जाती है।

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