आदमपुर,
आदमपुर में सरसों की खरीद में गोलमाल जारी है। कृषि मंत्री जेपी दलाल के आदेश के बाद 24 अप्रैल तक यहां ऑयल मिलों में मंडी बोर्ड के अधिकारियों ने छापेमारी की। इस दौरान औपचारिकता पूरी करते हुए मंडी बोर्ड के अधिकारियों ने मिलों में थोड़ा बहुत स्टॉक ज्यादा दिखाते हुए कुछ मिल मालिकों से फीस भरवाकर खानापूर्ति की और रिपोर्ट बनाकर उच्चाधिकारियों के पास भेज दी। वहीं दूसरी तरफ सरसों में कच्चा-पक्का का खेल लगातार जारी है। सूत्रों के अनुसार मार्केट कमेटी के कुछ कर्मचारियों के इशारे पर अब कच्चे की सरसों सीधे मिल में जाकर उतरने लगी है। वहीं खानापूर्ति के लिए पक्के की सरसों को कपास मंडी में उतरवाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि आदमपुर में रोजाना करीब 4 से 5 हजार क्विंटल की दर से सरसों की आवक रही है। इसमें अढ़ाई से तीन हजार क्विंटल सरसों कच्चे में जाती है और करीब 2 हजार क्विंटल सरसों पक्के में दिखाई जाती है। आदमपुर में सरसों की आवक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मंडी बोर्ड ने उच्चाधिकारियों को हाल ही में पत्र लिखकर कपास मंडी में जगह कम होने के दुहाई देते हुए सरसों को हैफड के गोदाम में उतरवाने की अनुमति मांगी है। आदमपुर मंडी में बीते साल 1.07 लाख क्विंटल सरसों की आवक 22 अप्रैल तक हुई थी, जबकि इस सीजन में 93 हजार 230 क्विंटल ही आवक हुई। आदमपुर में आवक में से 42 हजार क्विंटल के करीब सरकारी परचेज हुई, जबकि 50 हजार क्विंटल के करीब प्राइवेट परचेज हुई। इसलिए भी यह अंदेशा है कि यहां प्राइवेट में ज्यादा सरसों बिका है, जिसकी एंट्री नहीं है और मार्केट फीस की चोरी हुई है।
क्या है कच्चा-पक्का का खेल
दरअसल, मंडी में बिकने वाले सरसों पर मार्केट फीस, एचआरडीएफ आदि 5 प्रतिशत टैक्स लगता है। इसके अलावा 2.5 प्रतिशत आढ़त भी देनी होती है। इसका पक्का बिल कटता है। यह बचाने के लिए गांवों से सरसों उठाकर सीधे इसे प्राइवेट में मिलर्स या अन्य को बेच दिया जाता है। इसमें सरकार को चूना लगाता है और व्यापारियों को मोटा मुनाफा होता है। व्यपारियों को हो रहे मुनाफे में एक हिस्सा मंडी बोर्ड के कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों की जेब में भी चला जाता है। व्यापारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से होने वाले इस पूरे खेल को कच्चे की खरीद का नाम दिया जाता है। इस कच्चे के खेल में सरकार को काफी नुकसान उठाना पड़ता है वहीं किसानों को को जे फार्म जैसी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है।
सैंपलिंग में भी गोलमाल
मंडी बोर्ड के उच्चाधिकारियों के बार-बार ध्यान में लाने के बाद भी नमी जांच के लिए किसानों की आने वाली सरसों को कर्मचारियों द्वारा वापिस नहीं लौटाया जा रहा। जानकारी के मुताबिक, नमी जांच के नाम पर कर्मचारी किसानों से 600 से 700 ग्राम तक सरसों लेते हैं। नियमानुसार जांच के बाद इस सरसों को वापिस किसानों को दिया जाता है। लेकिन जांच कर रहे कर्मचारी नमी जांच के बाद किसानों को सरसों वापिस नहीं लौटाते। वे इस सरसों को एकत्रित करते हैं और रोजाना रात को 7 से 9 बजे के बीच मार्केट कमेटी के पास स्थित एक दुकान पर बेचकर आते है। इस मामले में हिसार से मंडी बोर्ड के अधिकारियों ने मार्केट कमेटी का दौरा भी किया, लेकिन यहां भी खानापूर्ति करके मामले को रफा-दफा कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार सैंपल एकत्रित करने वाले कर्मचारी रोजाना करीब 20 हजार रुपए की सरसों रात को चोरी-छिपे बेच रहे हैं।
सीएम फ्लाईंग ही कर सकती है पर्दाफाश
आदमपुर की मंडी में सरसों के गोलमाल का पर्दाफाश सीएम फ्लाईंग ही कर सकती हैं। लोगों का कहना है कि सरसों की खरीद में पूरी तरह से भ्रष्टाचार फैला हुआ है। कृषिमंत्री जेपी दलाल ने मामले की जांच में उचित कदम तो अवश्य उठाएं लेकिन जांच करने का जिम्मा मंडी बोर्ड के अधिकारियों व कर्मचारियों को ही दे दिया। ऐसे में इस गोलमाल से कुछ भी खास निकलकर सामने नहीं आया। लोगों का कहना है कि यदि इस पूरे मामले में सीएम फ्लाईंग की टीम एक्शन लेती है तो काफी बड़ा खेल सामने आयेगा।