कटला रामलीला के तेरापंथ भवन में समय की महता पर रखे विचार
हिसार,
शहर की कटला रामलीला स्थित तेरापंथ भवन के अहिंसा सभागार में महातपस्वी आचार्य महाश्रमणजी के आज्ञानुवर्ती शासन श्री मुनि विजय कुमार ने उपस्थित श्रद्धालुओं को ‘व्यस्त भले हों, अस्त व्यस्त न बनें’ विषय पर बोलते हुए कहा कि मनुष्य के जीवन में सबसे कीमती है समय। अंग्रेजी में टाइम इज मनी। समय को धन बताया गया है। यह निधि सबको समान रूप से प्राप्त है।
मुनिश्री ने कहा कि धनवान, गरीब, सज्जन-दुर्जन, त्यागी-भोगी का कोई भेद समय के साम्राज्य में नहीं है। एक ही समय किसी के लिए अच्छा और किसी के लिए बुरा हो सकता है। कौन व्यक्ति किस ढंग से समय का उपयोग करता है, उसके अनुरूप समय अच्छा या बुरा बन जाता है। जीवन की सफ लता और विफलता भी इसी के साथ जुड़ी है। हर व्यक्ति जीवन में सफल होना चाहता है पर सफलता सबको नसीब नहीं होती। इसके पीछे एक कारण हो सकता है – व्यक्ति का आलस्य। संस्कृत कवि ने कहा है-‘आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महारिपु:’। आलस्य व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन है। आलसी व्यक्ति हाथ पर हाथ धरे बैठा रहता है। सफलता के अवसर भी आते हैं पर आगे निकल जाते हैं, वह व्यक्ति ऐसे ही हतभागा रह जाता है। सफलता न मिलने के पीछे दूसरा कारण हो सकता है-व्यक्ति की अस्तव्यस्तता। वह समय का उपयोग करता है, श्रम भी करता है, किंतु जीवन में इतनी ज्यादा भाग दौड़ रहती है कि उसका दिमागी संतुलन नहीं रहता, न समय पर खाना खा सकता है, न समय पर पर्याप्त नींद ले पाता है और न उसे अपने इष्ट को याद करने का समय मिलता है। व्यस्त होना बुरा नहीं है, कहावत भी सुनी होगी-‘खाली दिमाग शैतान का घर’। व्यक्ति को निठल्ला न रहकर हर वक्त सच्चिन्तन और सत्पुरूषार्थ में लगे रहना चाहिए किंतु इतना व्यस्त भी नहीं होना चाहिए कि उसका नैसर्गिक सुख भी समाप्त हो जाये, जीवन शैली ही अस्त व्यस्त बन जाये। व्यस्तता शरीर की स्वस्थता के लिए किसी दृष्टि से अपेक्षित भी है किंतु अस्तव्यस्तता व्यक्ति की रूग्णता का कारण भी बन सकती है। भागदौड़ करके व्यक्ति ने धन और पदार्थों का अम्बार लगा भी लिया लेकिन शरीर यदि रूग्ण रहता है तो पदार्थ और धन क्या उसको सुख-शान्ति दे सकेंगे व क्या जीवन में सफलता की अनुभूति करा सकेंगे। व्यक्ति समय का सदुपयोग करना सीखे, व्यस्त भले हो, अस्त व्यस्त न बने।
कार्यक्रम में सुरेश जैन, अनिल जैन, उपासक राजकुमार जैन और सुधा जैन ने गीतों की प्रस्तुति दी। तेरापंथ सभा के प्रधान संजय जैन व अन्य वरिष्ठजनों ने ज्ञानशाला के बच्चों को उपहार भेंट किये। शासनश्री मुनिवर ने ज्ञानशाला उपक्रम को आगे बढ़ाने में बहिन सिद्धि और गरिमा की सेवाओं की सराहना की। कार्यक्रम के अनन्तर अणुव्रत समिति हिसार के चुनाव हुए जिसमें कुन्दनलाल जैन को सर्वसम्मति से प्रधान घोषित किया गया। मंगलपाठ श्रवण करने पर मुनि विजय कुमार जी ने कहा-बीते कार्यकाल में राजेन्द्र और सत्यपाल ने अणुव्रत की जनोपयोगी गतिविधियों को जन-जन तक पहुंचाया, अब कुन्दनलाल का भी अपनी क्षमताओं को आचार्य तुलसी द्वारा प्रवर्तित अणुव्रत के विस्तार में उपयोग करना है।