आदमपुर,
आदमपुर विधायक भव्य बिश्नोई के रिसेप्शन के तुरंत बाद प्रशासन ने दड़ौली रोड पर बड़ी कार्रवाई करते हुए आज दर्जनों दुकानों को ध्वस्त कर दिया। भारी पुलिस बल की मौजूदगी में सरकार के 2 बुलडोजर एक—एक करके दुकानों को खाक में मिलाने का काम करते रहे। वहीं दुकानों के बेबस मालिक दूर खड़े अपनी आजीविका को मिट्टी में मिलते हुए देखते रहे। गौरतलब है यहां पर रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण इन दुकानों के कारण काफी समय से रुका पड़ा है। अधिकतर दुकानदार कोर्ट में चले गए थे। कोर्ट में दुकानदारों को राहत नहीं मिली। एक—दो दुकानों को छोड़कर किसी को स्टे नहीं मिला। इसके चलते प्रशासन ने वीरवार को बड़ी कार्रवाई कर दी।
ऐसे बची एक दुकान
दुकानों को गिराने के लिए पहुंचे प्रशासन के अधिकारियों ने आज दुकानदारों की एक नहीं सुनी। जैसे ही प्रशासन ने कार्रवाई आरंभ की राव इलेक्ट्रिोनिक्स वर्क्स फर्म के मालिक ने अपने वकील को मौके पर बुला लिया। फतेहाबाद से आए एडवोकेट पवन सेठी ने अधिकारियों को कोर्ट से स्टे के पूरे कागजात दिखाए। इस पर अधिकारियों ने इस दुकान को न गिराने के निर्देश कर्मचारियों को दिए। एडवोकेट पवन सेठी ने बताया कि उनके क्लाइंट के पास दुकान की रजिस्ट्री, इंतकाल व अन्य पूरे कागजात थे। इसके चलते कोर्ट ने उनको स्टे दे दिया।
क्या बोला प्रशासन
कार्रवाई करवाने के लिए मौके पर पहुंचा प्रशासन का दावा है कि वे केवल सरकारी जगह पर बने अवैध निर्माण को गिरा रहे है। बुलडोजरों को निर्देश के रहे पीडब्ल्यूडी विभाग के एक्सईएन रजनीश ने बताया कि प्रशासन को 14 फूट 5 इंच जगह खाली करवानी है। कई बार दुकानदारों से इतनी जगह छोड़ने के लिए नोटिस दिए जा चुके हैं। इसके लिए बकायदा निशानदेही भी करवा दी गई थी। दुकानदारों ने अपना समान तो काफी समय से हटा लिया लेकिन अवैध निर्माण नहीं गिराएं। इसके चलते आज प्रशासन को कार्रवाई करनी पड़ी।
नहीं मिलेगा कोई मुआवजा
प्रशासन का कहना है कि यह जगह पीडब्ल्यूडी की है। इस पर लोगों ने अवैध रुप से कब्जा करके अपने प्रतिष्ठान बना लिए। लोगों ने 2 से 3 मंजिला इमारत खड़ी कर दी थी। 14 फूट 5 इंच जगह प्रशासन की तरफ से सड़क के साथ छोड़ी हुई थी। लोगों ने इस पर अपना कब्जा कर लिया था। अब प्रशासन यहां पर ओवर ब्रिज बना रहा है। ऐसे में प्रशासन ने अपनी जगह खाली कारवाई है। अपनी जगह खाली करवाने को लेकर मुआवजा नहीं दिया जाता। यदि किसी मालिक की जमीन पर निर्माण किया जाता है तो उसे उचित मुआवजा दिया जाता है।
60 सालों से था निर्माण
दड़ौली रोड पर करीब 60 साल पहले खेत की जमीन पर प्लाट काटे गए थे। उस दौरान यहां पर पंचायती राज था। प्लाट के आगे काफी चौड़ी सड़क भी छोड़ी गई थी। उस समय पूरा रस्ता कच्चा होता था। बाद में कच्चा रस्ता पूरी तरह से सरकारी हो गया। प्रशासन ने रेलवे फाटक को ध्यान में रखते हुए सीधी पक्की सड़क का निर्माण करवा दिया। इससे एक तरफ काफी चौड़ा फुटपाथ बच गया, जबकि दूसरे जगह पर काफी कम फुटपाथ बचा। जिस तरफ ज्यादा फुटपाथ बचा था लोगों ने धीरे—धीरे वहां निर्माण कर लिया। दादा द्वारा किए गए निर्माण पर अब पोतों ने बड़ी इमारते खड़ी कर दी। उन्हें खुद को पता नहीं था कि उनके दादा ने फुटपाथ की जगह को रोक रखा था। जैसे ही पूल का निर्माण आरंभ हुआ तो प्रशासन अपनी जमीन वापिस लेने के लिए पहुंचा तो वहां अवैध निर्माण देखकर दंग रह गया। प्रशासन ने जब इसे खाली करने का नोटिस दिया तो दुकानदार कोर्ट में चले गए। लेकिन कागजात पूरे न होने के कारण उन्हें निराशा ही मिली।
ना कालोनी काटने वाले बचे ना खरीदने वाले
प्रशासन द्वारा आज जिस स्थान पर बुलडोजर चलाया जा रहा है उस कालोनी को काटने वालों की तीसरी से चौथी पीढ़ी आज है। जिस समय कालोनी काटी गई थी उस समय कुछ का तो जन्म ही हुआ था। ऐसे में उन्हें इस बारे में जानकारी तक नहीं है। उनका कहना है कि पुराने समय में सरकारी पटवारी की गलती के कारण सड़क के दोनों तरफ बराबर फुटपाथ न छोड़ने के कारण आज बड़ा नुकसान लोगों को उठाना पड़ रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि फुटपाथ पर अवैध निर्माण करना भी गलत है। लेकिन उस समय के लोगों को इस बात का ज्ञान तक नहीं होता था। प्रशासन को निर्माण करते समय ही लोगों को जागरुक करना चाहिए था। अब वर्षां बाद 3—3 मंजिले गिराई जायेगी तो महसूस तो होगा।
बनने में लगे वर्षों, उजड़ने के एक पल
दड़ौली रोड पर बाजार बनने में करीब 6 दशक का समय लग गया। लेकिन उजड़ने में आज कुछ घंटों का समय लगा। ब्रिज बनने से पहले किसी ने सोचा तक नहीं था कि दड़ौली रोड के सजे—धजे इस बाजार की उम्र महज कुछ वर्षों की है। 2 साल पहले तक यहां पर दुकानों का रेट काफी उंचाईयों का छू रहा था। दड़ौली—चूली की तरफ जाने वाली बसों का यहां अस्थाई अड्डा था। 90 के दशक तक दड़ौली रोड आदमपुर का प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र के रुप में पहचाना जाता था। आदमपुर में तेल, दाल और कॉटन की मिले यहीं पर स्थापित थी। आज भी पुरानी मिले यहीं पर चल रही है। इन्हीं मिलो के कारण यहां पर बाजार पनपा। शुरु में यहां पर चाय और परचून की दुकान खुली थी। बाद में यहां पूरा बाजार विकसित हो गया। लेकिन ब्रिज के बनते ही सब कुछ ताश के पत्तों की तरह बिखर गया।
विधायक की शादी रिसेप्शन तक रुका प्रशासन
लोगों में चर्चाएं है कि ब्रिज का रुका हुआ निर्माण दिसम्बर माह के आरंभ में ही दोबारा शुरु होना था। लेकिन इसी बीच आदमपुर विधायक भव्य बिश्नोई का विवाह तय हो गया। ऐसे में प्रशासन को विधायक के विवाह रिसेप्शन तक इंतजार करना पड़ा। प्रशासन को भय था कि यदि रिसेप्शन से पहले कार्रवाई की गई तो लोग रिसेप्शन का बायकॉट या अन्य तरीके से विरोध कर सकते हैं। इसके चलते प्रशासन ने विधायक के विवाह के रिसेप्शन के महज 1 दिन बीत जाने के बाद ही कार्रवाई कर दी।