परिवार और गृहस्थी में प्रेम ही सबसे ऊपर होता है। परिवार और गृहस्थी का आधार प्रेम होता है। इसमें कभी कमी नहीं आनी चाहिए। पारिवारिक मतभेद या विवाद का असर भी पति—पत्नी के संबंधों पर नहीं होना चाहिए। गृहस्थी में कलह का पहला बीज पारिवारिक मतभेदों से ही पड़ता है। पती—पत्नी दोनों में एक—दूसरे के प्रति प्रेम के साथ सम्मान का भाव रहना भी जरूरी है।
रुक्मिणी का विवाह उनके भाई रुक्मी ने शिशुपाल से तय कर दिया था। रुक्मिणी श्रीकृष्ण से प्रेम करती थी। उन्होंने श्रीकृष्ण को संदेश भेजा। वे आए और रुक्मिणी का हरण करके ले गए। श्रीकृष्ण और रुक्मी में युद्ध हुआ। रुक्मी हार गया। श्रीकृष्ण ने बंदी बने रुक्मी को छोड़ दिया।
विवाह से पहले दोनों के परिवारों में काफी विवाद हो चुका था। फिर भी कड़वाहट का असर श्रीकृष्ण— रुक्मिणी के संबंधों पर कभी नहीं पड़ा। दोनों के मन में एक—दूसरे के लिए हमेशा प्रेम और सम्मान रहा। श्री कृष्ण की यह लीला गृहस्थाश्रम में रहने वाले लोगों के लिए सबसे बड़ा संदेश देती है कि प्रेम और सम्मान ही अटूट जोड़ी का निर्माण करता है। इसलिए धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी सदा अपनी धर्मपत्नी को प्रेम और सम्मान दें।