धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—158

एक राजा बहुत ही महत्त्वाकांक्षी था और उसे महल बनाने की बड़ी महत्त्वाकांक्षा रहती थी। उसने अनेक महलों का निर्माण करवाया। रानी उनकी इस इच्छा से बड़ी व्यथित रहती थी कि पता नहीं क्या करेंगे इतने महल बनवाकर।

एक दिन राजा नदी के उस पार एक महात्मा जी के आश्रम के वहाँ से गुजर रहे थे तो वहाँ एक संत की समाधी थी। सैनिकों से राजा को सूचना मिली कि संत के पास कोई अनमोल खजाना था। उसकी सूचना उन्होंने किसी को न दी पर अंतिम समय में उसकी जानकारी एक पत्थर पर खुदवाकर अपने साथ ज़मीन में गढ़वा दिया और कहा कि जिसे भी वो खजाना चाहिये उसे अपने स्वयं के हाथों से अकेले ही इस समाधी से, चौरासी हाथ नीचे सूचना पड़ी है, निकाल लें और अनमोल सूचना प्राप्त कर लेंवे और ध्यान रखें उसे बिना कुछ खाये पिये खोदना है और बिना किसी की सहायता के खोदना है अन्यथा सारी मेहनत व्यर्थ चली जायेगी।

राजा अगले दिन अकेले ही आया और अपने हाथों से खोदने लगा। बड़ी मेहनत के बाद उसे वो शिलालेख मिला और उन शब्दों को जब राजा ने पढ़ा तो उसके होश उड़ गये और सारी अकल ठिकाने आ गई।

उस पर लिखा था- हे राहगीर! संसार के सबसे भूखे प्राणी शायद तुम ही हो और आज मुझे तुम्हारी इस दशा पर बड़ी हँसी आ रही है। तुम कितने भी महल बना लो पर तुम्हारा अंतिम महल यही है। एक दिन तुम्हें इसी मिट्टी में मिलना है।

सावधान राहगीर, जब तक तुम मिट्टी के ऊपर हो तब तक आगे की यात्रा के लिये तुम कुछ जतन कर लेना क्योंकि जब मिट्टी तुम्हारे ऊपर आयेगी तो फिर तुम कुछ भी न कर पाओगे। यदि तुमने आगे की यात्रा के लिये कुछ जतन न किया तो अच्छी तरह से ध्यान रखना की जैसे ये चौरासी हाथ का कुआं तुमने अकेले खोदा है बस वैसे ही आगे की चौरासी लाख योनियों में तुम्हें अकेले ही भटकना है। हे राहगीर! ये कभी न भूलना कि “मुझे भी एक दिन इसी मिट्टी में मिलना है, बस तरीका अलग-अलग है।”

फिर राजा जैसै-तैसे कर के उस कुएँ से बाहर आया और अपने राजमहल गया, पर उस शिलालेख के उन शब्दों ने उसे झकझोर के रख दिया और सारे महल जनता को दे दिये और “अंतिम घर” की तैयारियों मे जुट गया।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, हमें एक बात हमेशा याद रखना चाहिए कि इस मिट्टी ने जब रावण जैसै सत्ताधारियों को नहीं बक्सा तो फिर साधारण मानव क्या चीज है। इसलिये ये हमेशा याद रखना चाहिए कि मुझे भी एक दिन इसी मिट्टी में मिलना है, क्योंकि ये मिट्टी किसी को नहीं छोड़ने वाली है।

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Jeewan Aadhar Editor Desk