धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—173

एक बार एक राजा के तीन पुत्र थे। राजा यह जानना चाहता था कि उसका कौन सा पुत्र अधिक बुद्धिमान हैं। मुश्किल हालातों में कौन सबसे अधिक सकारात्मक सोच अपनाता है। राजा ने तीनों पुत्रों को एक – एक सिक्का देकर कहा कि,” इस सिक्के से कुछ ऐसा खरीदों जिससे तुम्हारे कक्ष का कोना – कोना भर जाए। रात को मैं तुम तीनों के कमरों का निरिक्षण करूंगा।”

बड़े राजकुमार को लगता था कि एक रूपए से ऐसा कुछ नहीं खरीदा जा सकता जिससे कमरे का कोना- कोना भर जाएं। इसलिए वह कुछ भी खरीद नहीं पाया। दूसरे राजकुमार ने थोड़ी बुद्धि लगाई और बाजार से भंगार खरीद कर अपने कमरे के चारों कोनों में फैला दिया।

सबसे छोटा राजकुमार सकारात्मक सोच वाला था। वह सोचने लगा कि,” मेरे पिता एक इतने बड़े राज्य के राजा हैं। अगर उन्होंने अगर एक सिक्का दिया है ऐसी चीज खरीदने को जिससे कमरे का कोना-कोना भर जाएं तो जरूर कुछ ना कुछ तो ऐसा वास्तविकता में होगा।”

अपने पिता की बात को ध्यान से समझकर वह बाज़ार से दीपक खरीद कर लाया। उसने कमरे के सभी कोनों पर रखे थे जिससे उसके कक्ष का कोना- कोना रोशनी से भर गया। राजा ने रात्रि को तीनों पुत्रों के कक्षों का निरिक्षण किया।

राजा ने तीनों पुत्रों को पास बुलाया। राजा ने कहा कि जब मैंने सिक्का खर्च करने को कहा था तो मैंने उससे क्या खरीद सकते हैं उसका संकेत भी साथ ही दे दिया था। मैंने कहा था कि,” मैं रात्रि में तुम्हारे कक्ष में आऊंगा। तुम्हारे कक्ष का कोना – कोना भरा होना चाहिए।”

लेकिन तुम दोनों ने उस और ध्यान नहीं दिया बल्कि तुम दोनों की सोच नकारात्मक थी कि इससे ऐसा कुछ नहीं खरीदा जा सकता। तुम्हारे छोटे भाई की सोच सकारात्मक थी। उसने समाधान पर ध्यान दिया। उसने बाजार से दिये खरीदे और अपने कक्ष का कोना-कोना रोशनी से भर दिया।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी! जब हम नकारात्मक सोच रहे होते हैं तो हम समस्या के आने पर समस्या को इतनी बड़ी मान लेते हैं कि समाधान पर ज्यादा ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते।

Related posts

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—158

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी के प्रवचनों से—201

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद महाराज जी के प्रवचनों से—248