धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—244

एक दिन महावीर स्वामी प्रवचन दे रहे थे और सभी शिष्य सुन रहे थे। प्रवचन के बीच-बीच में कुछ शिष्य प्रश्न भी पूछ रहे थे और महावीर जी उनके उत्तर दे रहे थे।

एक शिष्य ने पूछा कि व्यक्ति कब अपने आचरण से गिर जाता है? कौन से काम हैं, जिनकी वजह से पतन होता है? क्या कोई एक काम है या कई ऐसे काम हैं?

महावीर स्वामी ने कहा कि मैं उत्तर दूं, उससे पहले यहां बैठे अन्य शिष्य इस प्रश्न का उत्तर दीजिए।

स्वामी जी की बात सुनकर एक शिष्य ने कहा कि अहंकार पतन का सबसे बड़ा कारण है। एक ने कहा कि कामवासना से सब कुछ बर्बाद हो जाता है। किसी ने लालच को बड़ी बुराई बताया तो किसी ने गुस्से को पतन का कारण बताया।

महावीर जी ने सभी की बात ध्यान से सुनी। फिर पूछा कि बताइए अगर आपके पास एक कमंडल है, उसमें पानी भर दें और उसे नदी में छोड़ दें तो क्या वह डूबा जाएगा?

शिष्यों ने कहा कि अगर कमंडल का आकार सही है तो वह डूबेगा नहीं, तैरेगा।

महावीर जी ने पूछा कि अगर उसमें छेद कर दिया जाए तो?

शिष्यों ने कहा कि फिर तो वह डूब ही जाएगा।

महावीर जी बोले कि क्या छेद के आकार से कोई फर्क पड़ेगा?

शिष्य बोले कि अगर छेद छोटा होगा तो कमंडल थोड़ी देर से डूबेगा और छेद बड़ा होगा तो जल्दी डूब जाएगा। छेद की वजह से कमंडल जरूर डूब जाएगा।

महावीर जी ने कहा कि बस यही बात मैं समझाना चाहता हूं। हमारा शरीर एक कमंडल की तरह ही है और बुराइयां छेद की तरह होती हैं। अगर अवगुण छोटा सा भी हुआ तो हमारा जीवन बर्बाद हो सकता है। काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, नशा, ईर्ष्या जैसी बुराइयों से बचें। जो लोग इन बुराइयों को छोड़ देते हैं, उनका जीवन सुधर जाता है। जिन लोगों के स्वभाव में इनमें से कोई एक बुराई भी है तो उनका पतन जरूर हो जाएगा।

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Jeewan Aadhar Editor Desk

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