धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज—298

एक राजा के पास बहुत ताकतवर हाथी था। राजा जब भी युद्ध पर जाता था तो वह अपने प्रिय हाथी को जरूर ले जाता। हाथी राजा की सारी बातें मानता था। हाथी की वजह से राजा ने कई युद्ध जीते थे। समय के साथ जब हाथी वृद्ध हो गया तो राजा ने उसे युद्ध में ले जाना बंद कर दिया। राजा ने अपने सेवकों को उसकी देखभाल की जिम्मेदारी सौंप दी। अब सुबह-शाम हाथी की अच्छी देखभाल होने लगी थी, लेकिन वह युद्ध में न जाने की वजह से उदास रहने लगा।

एक दिन हाथी तालाब में पानी पीने गया तो दलदल में फंस गया। बहुत कोशिश की, लेकिन हाथी दलदल से निकल नहीं पा रहा था। हाथी जोर-जोर से चिल्लाने लगा। इस बात की सूचना मिलते ही राजा भी तुरंत तालाब के पास पहुंच गए। सैनिकों ने बहुत कोशिशें की, लेकिन हाथी निकल नहीं सका। राजा ने अपने मंत्री को बुलवाया। मंत्री उस हाथी को बहुत अच्छी तरह जानता था। उसने राजा से कहा कि महाराज आप यहां युद्ध में बजने वाले ढोल-नगाड़े बजावाएं। मंत्री की बात मानकर राजा ने वहां ढोल-नगाड़े बजवाना शुरू कर दिया।

जब ढोल-नगाड़ों की आवाज हाथी ने सुनी तो वह तुरंत ही खड़ा हो गया और पूरी ताकत से दलदल से बाहर निकलने की कोशिश करने लगा। कुछ ही देर में हाथी दलदल से बाहर आ गया। राजा ये देखकर हैरान था कि हाथी बाहर कैसे आ गया। तब मंत्री ने राजा को बताया कि ये हाथी आपके साथ युद्ध में जाता था। जब आपने इसे युद्ध में ले जाना बंद कर दिया तो ये उदास हो गया था, इसके जीवन में उत्साह नहीं था।

दलदल में फंसने के बाद ये हिम्मत हार गया था। जब इसने ढोल-नगाड़े की आवाज सुनी तो इसे लगा कि अब फिर से युद्ध में जाना है, राजा को मेरी जरूरत है। ये सोचकर इसका उत्साह लौट आया और ये बाहर निकल आया।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, सुखी जीवन की सीख जब तब हमारे जीवन में उत्साह रहता है, तब तक हम सफलता प्राप्त करते रहते हैं। इसीलिए जीवन में उत्साह बनाए रखना चाहिए। इसीलिए कभी भी निराश नहीं होना चाहिए। हर काम पूरे उत्साह से करना चाहिए।

Related posts

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 349

ओशो : लौट कर आयेगा

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से-10

Jeewan Aadhar Editor Desk