धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—333

पुराने समय में एक संत गांव के लोगों को प्रवचन देते थे और जीवन यापन के लिए घर-घर जाकर भिक्षा मांगते थे। एक दिन गांव की महिला ने संत के लिए खाना बनाया, जब संत उसके घर आए तो खाना देते हुए उसने पूछा कि महाराज जीवन में सच्चा सुख और आनंद कैसे मिलता है? संत ने कहा कि इसका जवाब मैं कल दूंगा।

अगले दिन महिला ने संत के लिए स्वादिष्ट खीर बनाई। वह संत से सुख और आनंद के बारे उपदेश सुनना चाहती थी। संत आए और उन्होंने भिक्षा के लिए महिला को आवाज लगाई। महिला खीर लेकर बाहर आई। संत ने खीर लेने के लिए अपना कमंडल आगे बढ़ा दिया। महिला खीर डालने वाली थी, तभी उसकी नजर कमंडल के अंदर गंदगी पर पड़ी। उसने बोला महाराज आपका कमंडल तो गंदा है, इसमें कचरा है।

संत ने कहा कि हां ये गंदा तो है, लेकिन आप खीर इसी में डाल दो। महिला ने कहा कि नहीं महाराज, ऐसे तो खीर खराब हो जाएगी। आप कमंडल दीजिए, मैं इसे धोकर साफ कर देती हूं। संत ने पूछा कि मतलब जब कमंडल साफ होगा, तभी आप इसमें खीर देंगी? महिला ने जवाब दिया – जी महाराज इसे साफ करने के बाद ही मैं इसमें खीर दूंगी।

संत ने कहा कि ठीक इसी तरह जब तक हमारे मन में काम, क्रोध, लोभ, मोह, बुरे विचारों की गंदगी है, उसमें उपदेश कैसे डाल सकते हैं। अगर ऐसे मन में उपदेश डालेंगे तो अपना असर नहीं दिखा पाएंगे। इसीलिए उपदेश सुनने से पहले हमें हमारे मन को शांत और पवित्र करना चाहिए। तभी हम ज्ञान की बातें ग्रहण कर सकते हैं। पवित्र मन वाले ही सच्चा सुख और आनंद प्राप्त कर पाते हैं।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, संत की बातों से महिला समझ गई कि जब हम मन को पवित्र बना लेंगे, तब ही हमें सच्चा सुख और आनंद की प्राप्ति होगी।

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Jeewan Aadhar Editor Desk

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