धर्म हिसार

माता—बहनें रील में नहीं रिअल में विश्वास करें—स्वामी सदानंद जी महाराज

आदमपुर,
आजकल सोशल मीडिया का ऐसा जमाना आ गया है कि लोग सच की दुनियां से दूर होकर एक अलग दुनियां में जीने लगे हैं। इजी मनी और वायरल यानि असानी से पैसे कमाने और नाम के लिए बहुत सी माता—बहनें सब कुछ छोड़कर रील बनाने की होड़ में खो गई है। जबकि भारत की नारियों का इतिहास काफी गौरविंत रहा है। यह बात प्रणामी मिशन के प्रमुख संत परमहंस डा. सदानंद महाराज ने यहां लाला लखीराम धर्मशाला में वरुण गर्ग के द्वारा करवाई जा रही श्रीमद्भाग्वत व श्रीकृष्ण कथा के पहले दिन श्रद्धालुओं को प्रवचन के दौरान कही।

उन्होंने कहा कि माता अनसुइयां ने भारत की नारियों की शक्ति का ऐसा संदेश दिया कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश को भी बच्चा बनना पड़ा। आज माता—बहनों को उनसे शिक्षा लेते हुए रील के स्थान पर रिअल जीवन में उतरना होगा। जब माता—बहनें अपने शक्ति को पहचानेगी तभी सही अर्थों में भारत फिर से विश्वशक्ति बनेगा। वहीं उन्होंने कहा परमात्मा से धन, मान—सम्मान, पद की जगह ध्रुव की तरह भक्ति का वरदान मांगों। अंजामिन की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कलियुग में प्रभु का नाम सुमरिन करने से ही कल्याण हो सकता है। बच्चों का नाम रखने के लिए गुगल बाबा का नहीं ज्ञानी पंड़ित का सहारा लो। नाम संस्कार का पूरी तरह पालन करें।

उन्होंने कहा सत्संग और भक्ति मार्ग ही इंसान को पॉजिटिव सोच देकर उसे कल्याण की तरफ लेकर जा सकते हैं। जो इंसान सत्संग में नियमित आता है वह मानसिक विकारों से दूर रहता है। किसी प्रकार की नेगटिविटी उसके पास नहीं आ सकती। सत्संग से प्रेरणा मिलती है और प्रेरणा से आत्मविशवास जागता है। जिसमें आत्मविश्वास होता है वहीं कामयाब होता है। प्रह्लाद्ध भक्त की कथा सुनाते हुए कहा कि जिसके सिर पर परमपिता परमात्मा का हाथ होता है उसका काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता। जो आदमी प्रभु की निंदा करता है उसका अस्तित्व सदा के लिए मिट जाता है।

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