आदमपुर,
मोदी सरकार के जीएसटी रिफॉर्म को लेकर सामान के रेट कम होने की उम्मीद जग गई थी। लेकिन कुछ कंपनियों ने इस उम्मीद पर पानी फेरना शुरू कर दिया है। बीते दो दिन में घी के रेट में करीब 20 से 25 रुपये की अचानक बढ़ोतरी कर दी गई है। कारोबारियों का कहना है कि 22 सितम्बर से पहले घी पर अभी 12 पर्सेंट GST लगता था। लेकिन 22 सितम्बर से जीएसटी रिफॉर्म लागू हुआ। अब घी 5 पर्सेंट वाले स्लैब में आ गया, इससे घी के दाम कम होने चाहिए थे। लेकिन कंपनियों ने दाम कम करने के स्थान पर बढ़ा दिए है।
घी के 5 पर्सेंट वाले स्लैब में आते ही उम्मीद थी कि लोगों को सीधी राहत मिलेगी। लेकिन बीते दो दिन में ही घी बनाने वाली अलग-अलग ब्रैंड की कंपनियों ने प्रति लीटर घी 20 से 25 रुपये तक महंगा कर दिया है। इससे लोगों की जेब पर अभी से लोड बढ़ गया है। दरअसल, कंपनियों ने आमजन की उम्मीदों पर पानी फेरने का प्लान पहले ही बना लिया था। इसके चलते कंपनियों ने 22 सितम्बर से पहले ही घी के दाम बढ़ाने आरंभ कर दिए। दाम इस कदर बढ़ाए कि अब 22 सितम्बर को दाम घटाने की कागजी कार्रवाई के बाद भी घी अगस्त की तुलना में प्रति लीटर घी 20 से 25 रुपये तक महंगा हो गया।
सितंबर के दूसरे सप्ताह में श्वेता घी के रेट 585 रुपए लीटर था जबकि 22 सितंबर को रेट बढ़कर 605 रुपये लीटर हो गया।
जीएसटी रिफॉर्म लागू होने के बाद कई घी की कम्पनियों ने रेट कम किए है लेकिन अधिकतर कम्पनियों ने अपना मुनाफा बढ़ा लिया है। इन कम्पनियों ने ना तो वजन बढ़ाने का काम किया और ना ही दाम घटाने का। उल्टे इन कम्पनियों ने घी का रेट बढ़ा कर आमजन के जेब पर भार बढ़ाने का काम किया है। कुल मिलाकर मोदी सरकार ने महंगाई से निजात दिलवाने के लिए जीएसटी रिफॉर्म लागू करने का काम जितने जोर—शोर से आरंभ किया था— घी कम्पनियों ने उतनी ही तेजी से इसकी हवा निकाल दी।