धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 700

एक दिन एक गुरु ने अपने शिष्यों को शिक्षा देने के लिए एक बड़ा कांच का जार निकाला।
उन्होंने उसमें बड़े-बड़े पत्थर डाले और पूछा, “क्या जार भर गया?”

शिष्य बोले — “जी हाँ, भर गया।”

गुरु ने फिर उसमें छोटे कंकड़ डाले। वे पत्थरों के बीच की जगह में समा गए।
गुरु मुस्कुराए — “अब?”
शिष्य बोले — “अब पूरी तरह भर गया।”

गुरु ने अब उसमें रेत डाली। रेत ने बाकी जगह भर दी।
सभी बोले — “अब तो सच में भर गया!”

गुरु ने अंत में उसमें पानी डाल दिया। पानी भी समा गया। सभी हैरान रह गए।

गुरु बोले — “यह जार तुम्हारा जीवन है।
बड़े पत्थर हैं — परिवार, स्वास्थ्य, समय और ईश्वर।
कंकड़ हैं — काम और रिश्ते,
रेत है — पैसा, वस्तुएँ और मनोरंजन।”

“अगर तुम पहले रेत भरोगे तो बड़े पत्थरों के लिए जगह नहीं बचेगी। इसी तरह, अगर जीवन की छोटी-छोटी चीजों में उलझ जाओगे, तो जो सच में ज़रूरी है — उसके लिए समय नहीं रहेगा।”

शिष्य नतमस्तक हो गए।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, पहले जीवन में मुख्य चीजों को जगह दो — परिवार, सेहत, और आत्मिक शांति। बाकी सब अपने स्थान पर अपने आप ठीक बैठ जाएगा।

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