हिसार

दो जोड़ों ने किया सफल विवाह को सार्थक, दहेज में नहीं ली फूटी कौड़ी

ईमरान खान संग भारती और सतीश कुमार संग संजोगिता की हुई शादी

बोले, दहेज कभी अकेला नहीं आता, साथ में आती है देने वाले की अनेक मजबूरियां, विवशता व कर्जा

हिसार, (राजेश्वर बैनीवाल)। हम हमेशा से कहते व सुनते आए हैं कि “शुभ विवाह” लेकिन आज हिसार जिला के गांव कंवारी में दो जोड़ों ने “शुभ विवाह” को “सफल विवाह” कर दिखाया। हिसार जिला के दो गांवों बहबलपुर और सुंडावास से कंवारी गांव में आई दो बारातों ने “समाज को दिया विकल्प” ऐसी मिशाल पेश की है कि जिससे आने वाली पीढ़ी भी प्रेरणा लेगी। ये अनोखे रुप से की गई शादी पूरे समाज का एक तरीके से मार्गदर्शन का काम करेगी।
इन दोनों ही शादियों में पढ़ें-लिखे दुल्हों ने दान और दहेज़ को बिल्कुल सिरे से खारिज करते हुए नकार दिया। दोनों का कहना था कि दहेज लेना और देना कानूनन अपराध है। वे बैनर तक अपने बनवाकर लाए हुए थे। उन्हीं बैनर पर लगे महापुरुषों की फोटो के सामने एक—दूसरे को माला डालकर एक—दूसरे को अपना जीवन साथी मान लिया। इस शादी में दोनों युवकों ने दहेज में एक सुई तक भी नहीं ली, ना ही कन्यादान लिया, ना मांग भरी, ना फेरे लिए, और तो और जुहारी तक भी दोनों दुल्हों ने नहीं ली।
समाजसेवी सरदानंद राजली ने बताया कि ईमरान खान संग भारती और सतीश कुमार संग संजोगिता और कंवारी गांव के मास्टर सतीश कुमार ने भी अपनी दोनों भतीजियों के शादी कार्ड में भी महान पुरुषों की फोटो छपवाई ताकि लोग महान पुरुषों से परिचित हो और उनके विचारों को आत्मसात करें। इन सभी ने सूझबूझ से काम लेते हुए अपने—अपने परिवार को भी इस शादी के लिए रजामंद किया। कई मुश्किलें भी आई लेकिन शादी आखिरकार सफल हुई। शादी में जितने भी लोग शामिल थे, सभी ने इस शादी की खूब सराहना की। इसका सारा श्रेय बहबलपुर गांव के मास्टर रोहतास को जाता है जिन्होंने शुरुआत की और दोनों तरफ से भरपूर सहयोग मिला और सफलता भी प्राप्त हुई।
शादी कार्ड पर छपवाई महान पुरुषों की फोटो
बहबलपुर से मास्टर रोहतास ने अपने बेटे ईमरान खान के शादी कार्ड पर बाबा साहब अंबेडकर और महान दार्शनिक कार्ल मार्क्स की फोटो छपवाई जबकि सतीश सुंडावास ने अपनी शादी के कार्ड पर बाबा साहब अंबेडकर, शहीदे आज़म भगतसिंह और दीनबंधु सर छोटूराम की फोटो छपवाई। मास्टर सतीश कंवारी ने अपनी भतीजियों भारती और संजोगिता की शादी कार्ड पर बाबा साहब अंबेडकर और तथागत गौतम बुद्ध की फोटो छपवाई।
दहेज कभी अकेला नहीं आता
दोनों परिवारों के इन युवाओं ने कहा कि दहेज़ जब घर में आता है वो कभी भी अकेला नहीं आता। देने वाले की मजबूरियां, दुख, वेदना, तनाव, कर्जा उतारने चिंता भी दहेज़ के सामान में लिपटी आती है लेकिन उसके लिए आपको देखने का नजरिया चाहिए वो हर किसी के पास होता नहीं है। लालच एक ऐसी बला है जो सोचने समझने की शक्ति को खत्म कर देती है। जो लोग कहते हैं कि अपनी मर्जी से कुछ भी दे दो हमारी कोई डिमांड नहीं है, वो भी दहेज़ के लालची होते है। दहेज लेना और देना दोनों ही कानूनन अपराध है।

Related posts

किसान आंदोलन में अब युवा वर्ग की होगी महत्वपूर्ण भूमिका : रमिन्द्र सिंह पटियाला

Jeewan Aadhar Editor Desk

शिव कॉलोनी निवासी पुलिसकर्मी ने हराया कोरोना को, घर पहुंचने पर भव्य स्वागत

Jeewan Aadhar Editor Desk

जरूरतमंद परिवारों के लिए भारत माता मंदिर ने की राशन की व्यवस्था